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Ginger Cultivation: कम लागत में होगा जबरदस्त मुनाफा, जानिए इसके बारे में

Farming tips: वर्तमान में अदरक की खेती से कई किसानो को ज्यादा लाभ हो रहा है। ऐसे में अगर आप भी अदरक की खेती से ज्यादा लाभ पाना चाहते है तो चलिए जानते है अदरक की खेती कर उचित पै
 
Ginger Cultivation: कम लागत में होगा जबरदस्त मुनाफा, जानिए इसके बारे में

Haryana Update: अदरक की खेती गर्म और आर्द्रता वाली जगहों पर होती है। इसके पौधे को कंद के रूप में उगाया जाता है।माध्यम बारिश के समय अदरक की गांठे को जमाने की जरूरत होती है। अदरक मुख्य रूप से उष्ण क्षेत्र की फसल है।

 

 

 

 

 

अदरक का इस्तेमाल मसालों ,ताजी सब्जी और ओषधि के रूप में करते है। भारत में अदरक की खेती 136 हजार हेक्टर है जो उत्पादित बाकी मसालों से प्रमुख है। भारत में अदरक की खेती केरल ,उड़ीसा,उत्तर प्रदेश,पक्षिम बंगाल,हिमाचल प्रदेश,मध्य प्रदेश,असम में मुख्य व्यवसायिक फसल के रूप में की जाती है। दावार कैसे प्राप्त करे

 

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जलवायु -

अदरक की खेती गर्म और आर्द्रता वाली जगहों पर की जाती है।अदरक की फसल के लिए उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण कटिबंध जलवायु की जरूरत होती है। गर्मी का मौसम अदरक की फसल के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है गर्मी के मौसम में इसके कंद अच्छे से बढ़ते है। अदरक के पौधे को अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है कंदो को पकने के दौरान 30 से 35 डिग्री तापमान जरुरी होता है।

खेती की तैयारी -

अदरक की खेती करने से पहले खेत को तैयार करे। इसके खेत एक महीने पहले तैयार किये जाते है। इसके लिए खेत की गहरी जुताई मिटटी पलटने वाले देसी हल से करवा दे। जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़े जिससे खेत की मिटटी में अच्छी तरह से धुप लगे।

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इसके बाद खेत में पानी लगाए और खेत में उचित गोबर की सड़ी खाद खेत में डाले 2 से 3 जुताई कर खेत को समतल बना ले अदरक की खेती दक्षिण भारत में मानसून फसल के रूप में अप्रेल से मई में की जाती है। जबकि मध्य और उत्तर भारत में अदरक एक शुष्क क्षेत्र फसल हैजिसे अप्रेल से जून माह तक बुवाई की जाती है

भूमि -

अदरक की खेती के लिए बुलई दोमट जिसमे ज्यादा मात्रा में जीवांश या कार्बनिक पदार्थ की मात्रा हो वो भूमि के लिए सबसे सही है। इसके साथ ही भूमि जल निकासी वाली होनी चाहिए।जल निकास नहीं होने से कंदो का विकास अच्छा नहीं होता है।अदरक की खेती के लिए भूमि का पि ,एच मान 5.6 के मध्य होना चाहिए।

बीज की मात्रा -

इसके खेत की बुवाई बीजो से नहीं बल्कि इसके कंद को ही बीज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए कंदो का चयन बीज हेतु 6 से 8 माह की अवधि वाली फसल में पौधे को चिनिहन्त करके काट लेने चाहिए और मैदानी भागो में 15 से 18 किवंटल प्रति हेक्टेयर बीजो की मात्रा पर्याप्त रहती है।

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बोने का तरीका -

अदरक के बीजो की बुबाई इसके कंदो के रूप में की जाती है इसके प्रकंदो को 40 सेमि के अंतराल पर बोना चाहिए। मद या नाली विधि से बुवाई करनी चाहिए। बुवाई के बाद इन प्रकंदो को सड़ी हुई गोबर की खाद या मिटटी से ढक दे। भूमि की दशा या जल वायु के प्रकार के मुताबित समतल कच्ची क्यारी ,मेड नाली आदि विधि से अदरक की बुवाई या रोपण कर सकते है।


 

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