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जैविक उत्पादों के निर्यात का हब बनेगा हापुड़


haryana update: जैविक उत्पादों के नाम से हापुड़ की पहचान होगी। शासन की मंजूरी के बाद अब हापुड़ को जैविक उत्पादों के निर्यात का हब बनाने की तैयारी है।

 
  haryana update: जैविक उत्पादों के नाम से हापुड़ की पहचान होगी। शासन की मंजूरी के बाद अब हापुड़ को जैविक उत्पादों के निर्यात का हब बनाने की तैयारी है।
पहले चरण में हर ब्लॉक से 40-40 किसानों का चयन।
 जैविक खेती के संबंध में इन किसानों का प्रशिक्षण।
 कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से फसल की तैयारी।
जैविक उत्पाद बिक्री के लिए तहसील स्तर पर स्टॉल।
दूसरें प्रदेशों में जैविक उत्पादों को निर्यात।

 चारों ब्लॉकों से 40-40 किसानों को चिन्हित किया जा रहा है। तहसीलवार नोडल नियुक्ति किए गए हैं। कृषि, उद्यान, मत्स्य, पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से पूरी कार्य योजना तैयार की है, जिसे अब अमली जामा पहनाने की तैयारी है।

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रसायनयुक्त सब्जी, फल, फसलें खाने से शारीरिक क्षमता प्रभावित हो रही हैं। जैविक उत्पादों की ओर तेजी से लोगों का रुझान बढ़ रहा है। लेकिन जिले में अभी तक जैविक खेती का रकबा नगण्य ही है। शासन ने प्रदेश को जैविक खेती से जोड़ने के लिए बीते दिनों लखनऊ में कुछ अफसरों की ट्रेनिंग कराई थी। जिसमें हापुड़ के जिला कृषि अधिकारी को भी शामिल किया गया था।

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अब उनके हापुड़ वापसी के साथ ही जिले को जैविक उत्पादों का हब बनाने की उम्मीद जग गई है। संबंधित विभागों के साथ उन्होंने कार्य योजना तैयार की है, जिसे सोमवार को डीएम की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। कई चरणों में इस अभियान को सफल बनाने की योजना है।

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सबसे पहले जिले के 160 ऐसे किसानों को चिन्हित किया जा रहा है, जो स्वेच्छा से जैविक खेती करने के इच्छुक हैं। शुरूआत में इन किसानों से छोटे स्तर पर जैविक खेती कराई जाएगी, हर तहसील पर एक एक स्टॉल जैविक उत्पादों की बिक्री का लगेगा। जहां पर ये किसान अपने उत्पाद बेच सकेंगे। इसके साथ ही विभाग दूसरे प्रदेशों में भी यहां के उत्पादों का निर्यात कराएंगे। योजना दो से तीन साल में परिपक्व होगी, लेकिन इसका किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा और हापुड़ की पहचान अंतर्राष्ट्रीय पटल पर जैविक उत्पादों के नाम से उबरेगी।

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जिले में जैविक विधि से हल्दी, भिंडी, भिलिया, बैंगन, तोरई, लोकी, अदरक, खीरा, खरबूज, तरबूज, गोभी, चकुं दर, मिर्च, टमाटर, प्याज, शिमला मिर्च, टिंडा तैयार किया जाएगा, जिसका यहां से निर्यात होगा।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बासमती की महक विदेशों तक महकती है। शासन ने बासमती के निर्यात को बढ़ावा देने के भी आदेश दिए हैं। जैविक उत्पादों के साथ ही बासमती धान के निर्यात की भी योजना तैयार की जा रही है। कृषि विज्ञान केंद्र जैविक खेती पर रिसर्च कर रहा है। इसके लिए शासन से केंद्र को देसी गाय भी मिली है, जिसके गोबर, मूत्र से ही इस खेती का ट्रायल चल रहा है। यह मॉडल भी जिले का नाम रोशन करेगा।

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