Opium Farming: जानिए किसानों के लिए वैध या अवैध अफीम की खेती, जानें कहां से मिलती है इसके लिए मंजूरी
Opium Farming: Know the legal or illegal cultivation of opium for farmers, know where to get approval for it
Haryana Update: अफीम को नशे के तौर पर जाना जाता है. लेकिन, कई दवाओं में अफीम का प्रयोग भी होता है. ऐसे में अफीम की ‘वैध’ खेती किसानों के लिए असीमित मुनाफे का सौदा मानी जाती है.
यहां पर ‘वैध’ शब्द पर जोर जरूरी है. इसका प्रमुख कारण यह है कि ‘वैध’ खेती ना किए जाने पर किसानों को जेल तक की सजा खानी पड़ सकती है. इसलिए जरूरी है कि किसान जरूरी मंजूरी के साथ ही अफीम की खेती करें. आईए जानते हैं कि किसान अफीम की खेती के लिए किससे और कैसे मंजूरी ले सकते हैं. साथ ही अफीम की खेती से किसान कितना लाभ कमा सकते हैं.
नारकोटिक्स विभाग से लेनी पड़ती है मंजूरी-Approval has to be taken from the Narcotics Department
उत्तर प्रदेश (Uttar Pardesh) में अफीम की खेती करने के लिए किसानों को नारकोटिक्स विभाग (narcotic department) की परमिशन लेनी पड़ती है. अफीम की खेती बिना इजाजत करना कानून जुर्म है. ऐसा करने पर किसानों के साथ में बड़ी और कड़ी कार्यवाही हो सकती है. लेकिन, अनुमति के साथ में की जाने वाली यह खेती किसानों को मालामाल कर रही है. किसान अफीम की खेती करके करोड़ों का मुनाफा कमा रहे हैं.
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दवा निर्माण के लिए अफीम की खेती को मंजूरी-Opium cultivation approved for pharmaceutical manufacturing
वैसे तो पूरे भारतवर्ष में अफीम की खेती को अवैध खेती के रूप में माना जाता है. जिसका एक पेड़ लगाना भी जेल की सजा पाने के लिए काफी है. लेकिन, दवा निर्माण के लिए इसकी खेती की जा सकती है. जिसके तहत मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश में अफीम की खेती की जा रही है.
120 दिन बाद अफीम में आ जाते हैं फूल-Flowers come in opium after 120 days
अफीम के पौधे में फूल के बाद में जो फल लगता है. उसे डोडा कहा जाता है. हरदोई के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार (District Horticulture Officer Suresh Kumar) ने बताया कि बुवाई के लगभग 120 दिन के बाद में अफीम के पौधे में फूल आने शुरू हो जाते हैं और ठीक 25 दिनों के बाद में फूल डोडा यानी फल में परिवर्तित हो जाते हैं. किसान इसी फल में चीरा लगाता है. जिस पर एक गोंद नुमा पदार्थ बाहर निकलने लगता है. किसान यह कार्य धूप निकलने से पहले करता है. जब तक फल में गोंद नुमा तरल पदार्थ निकलना बंद नहीं होता है. तब तक किसान समय-समय पर चीरा लगाने की प्रक्रिया जारी रखता है. इसे इकट्ठा करने के बाद में सरकार को इसे बेच दिया जाता है. साथ ही उसके अंदर से प्राप्त होने वाले बीज को भी किसान संभाल कर रखते हैं. यह सभी प्रक्रिया नारकोटिक्स विभाग की निगरानी में अमल में लाई जाती है.
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कई मर्जों की दवा है अफीम-Opium is the medicine of many diseases
आयुर्वेद के जानकार रेखा ने बताया कि अफीम से निकलने वाला चिपचिपा पदार्थ काफी नशीला होता है. लेकिन, आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल इलाज के लिए भी किया जाता है. इससे कैंसर, पेट की बीमारियां, नींद लाने वाली दवाओं में किया जाता है. शरीर के घावों को रोकने के लिए बेहतरीन दवा के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वही यूनानी डॉक्टरों का कहना है कि अफीम पुराने से पुराने सर के दर्द को ठीक कर देता है. वही जोड़ों के दर्द, बहुमूत्र, कमर दर्द, स्वास के रोग, खूनी दस्त, अतिसार आदि के लिए यह रामबाण औषधि है. लेकिन, नशे के लिए इसका सेवन इंसान के लिए घातक है. हरदोई की जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि संपूर्ण जानकारी के साथ शासन प्रशासन के बताए गए नियमों के तहत इसकी खेती करने वाले किसान करोड़ों का लाभ कमा रहे हैं।
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