logo

CJI Justice Ramana: मुद्दों पर तर्कहीन बहस मीडिया का एजेंडा,जजों को होती है फैसले लेने में दिक्कत

Latest News: चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मामलों के मीडिया ट्रायल पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट लगा लेता है। ऐसे में अनुभवी जजों को भी फैसला लेने में मुश्किल आती है। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी जवाबदेही है, लेकिन इलेक्ट्रोनिक मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं दिखती है।
 
CJI Justice Ramana: मुद्दों पर तर्कहीन बहस मीडिया का एजेंडा,जजों को होती है फैसले लेने में दिक्कत

Haryana Update: CJI ने कहा कि हम देखते हैं कि किसी भी केस को लेकर मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है। कई बार अनुभवी न्यायाधीशों को भी फैसला करना मुश्किल हो जाता है। न्याय वितरण से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा संचालित बहस लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं।


 

 

 

जजों को भी नेताओं जैसी सुरक्षा मिले
CJI रमना ने कहा कि आजकल जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। पुलिस और राजनेताओं को रिटायर्मेंट के बाद भी सुरक्षा दी जाती है, इसी तरह जजों को भी सुरक्षा दी जानी चाहिए। CJI ने कहा कि वे राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हालांकि, जस्टिस रमना ने कहा कि उन्हें जज बनने का मलाल नहीं है।

Yasin Malik Hunger Strike: भूख हड़ताल पर बैठा यासीन मलिक, अब उठाई ये मांग

सामाजिक मुद्दों से मुंह नहीं मोड़ सकते
सीजेआई ने कहा कि वर्तमान समय की न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक निर्णय के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। न्यायाधीश सामाजिक वास्तविकताओं से आंखें नहीं मूंद सकते। सिस्टम को टालने योग्य संघर्षों और बोझ से बचाने के लिए जज को दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देनी होगी।

भारत के 48वें CJI हैं जस्टिस रमना
27 अगस्त, 1957 को कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक किसान परिवार में जन्मे जस्टिस एनवी रमना ने 24 अप्रैल 2021 को भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी। वे हैदराबाद में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील और रेलवे के वकील भी रहे हैं। वे आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता भी रहे हैं।

Viral Video: 'अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे', मुहावरा तो आप ने सुना ही होगा अब देख भी लीजिए

उन्होंने 10 मार्च, 2013 से 20 मई, 2013 तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया। उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।


click here to join our whatsapp group