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Wheat Export: आपकी थाली से गायब न हो रोटी इसलिए सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला, जानिए

Hisar Desk. India stops Wheat export:गेहूं की बढ़ती कीमत को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसके निर्यात (Wheat export) पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. आपको बता दें कि ताजा सरकारी आदेश में गेहूं को प्रतिबंधित श्रेणी (Prohibited Category) में रखा गया है.
 
Wheat Export: आपकी थाली से गायब न हो रोटी इसलिए सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला, जानिए

Haryana Update. भारत सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी नोटिफिकेशन के तहत देश से बाहर जाने वाले गेहूं के निर्यात (Export) पर रोक लगाई गई है. 

 

 

'ताकि आपकी थाली से न गायब हो रोटी'

डीजीएफटी (DGFT) ने कहा, ‘गेहूं की निर्यात नीति पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाता है...’ विभागीय आदेश में ये भी साफ किया गया है कि भारत सरकार अपने नागरिकों को खाद्य सुरक्षा (Food Security) देने के लिए प्रतिबद्ध है.

वहीं पड़ोसी और मित्र देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर अब कुछ विशेष स्थितियों में ही गेहूं (Wheat) के निर्यात की अनुमति दी जाएगी. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia Ukraine War) के कारण गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में व्यवधान के मद्देनजर निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है. आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन दोनों गेहूं के प्रमुख निर्यातक रहे हैं.

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ये फैसला इसलिए भी लिया गया है ताकि आज की वैश्विक परिष्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारत के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सके. यानी आपकी थाली से रोटी गायब न हो इसके लिए सरकार ने विशेष इंतजाम किए हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े?

इस सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ईंधन और खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. मजबूत वैश्विक मांग के कारण 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात बढ़कर 70 लाख टन यानी 2.05 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया.

डीजीएफटी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत खेप बांग्लादेश भेजी गई थी. पिछले साल इसी अवधि में 1,30,000 टन के मुकाबले देश ने इस साल लगभग 9,63,000 टन गेहूं का निर्यात किया.

 

भारत सरकार को चालू वित्तीय वर्ष (2022-23) में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करने की उम्मीद थी. वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि भारत गेहूं के निर्यात की खेप को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए नौ देशों-मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, अल्जीरिया और लेबनान में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजेगा.

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निजी व्यापारियों द्वारा भारी उठान और पंजाब-हरियाणा में कम आवक के कारण मौजूदा रबी विपणन सत्र में एक मई तक भारत की गेहूं खरीद भी 44 फीसदी घटकर 1.62 लाख टन रह गई है. सरकार ने एक साल पहले की अवधि में 2.88 लाख टन गेहूं की खरीद की थी. रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है.

निर्यात के लिए अनाज की बढ़ती मांग के बीच निजी कंपनियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक कीमत पर गेहूं खरीदा है. केंद्र ने विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 4.44 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह 4.33 लाख टन था.

कृषि मंत्रालय का ऐलान

केंद्रीय पूल के लिए कम खरीद के बीच केंद्र ने थोक उपभोक्ताओं को मुक्त बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत गेहूं की बिक्री रोक दी है और उन्हें अनाज खरीदने के लिए योजना के शुरू होने की प्रतीक्षा नहीं करने को कहा है. कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं का रिकॉर्ड 11.13 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है.

प्याज को लेकर आदेश

एक अलग अधिसूचना में डीजीएफटी ने प्याज के बीज के लिए निर्यात शर्तों को आसान बनाने की घोषणा की है. डीजीएफटी ने कहा, ‘प्याज के बीज की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से सीमित श्रेणी के तहत रखा जाता है.’ पहले प्याज के बीज का निर्यात प्रतिबंधित था. 

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