Delhi में प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बारिश का प्लान बनाया गया
Haryana Update: दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने पहली बार कृत्रिम बारिश की व्यवस्था की है। खबर है कि 20 नवंबर से 21 नवंबर के बीच आसमान से कृत्रिम बारिश हो सकती है। दिल्ली सरकार ने पूरी योजना आईआईटी कानपुर से ट्रायल कर ली है। शुक्रवार को सरकार भी सुप्रीम कोर्ट को यह सूचना देने वाली है। दिल्ली सरकार बताती है कि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी कि कृत्रिम बारिश कराने में केंद्र सरकार भी सहयोग करे।
यह खबर सुनने के बाद लोगों ने सोचा होगा कि बादलों से स्वयं बारिश नहीं होगी, तो ये कृत्रिम बारिश क्या होती है? यह कहा जाता है कि इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और बारिश करते हैं, लेकिन प्लेन से बारिश कैसे होगी? दिल्ली के आसमान का प्रदूषण क्या कम होगा? क्या यह पानी की बूंदें होंगी या कुछ ऐसा होगा जैसे हेलिकॉप्टर जंगल की आग को बुझाते हैं? आइए देखें कि कृत्रिम बारिश की यह तकनीक क्या है जो दिल्ली की हवा को साफ करती है?
कैसे ये बारिश होगी?
कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग से होती है। दिल्ली में यह प्रक्रिया नई हो सकती है, लेकिन पूरी दुनिया में यह दशकों से चल रहा है। दरअसल, प्रदूषण फैलाने वाले कण आसमान में तैर रहे हैं और बारिश से जमीन पर गिर सकते हैं। यह प्रदूषण कम करेगा। दोनों घटनाएँ फिलहाल दिल्ली में नहीं हो रही हैं। आर्टिफिशियल हवा चलाना असमर्थ है। इसलिए दूसरा विकल्प उपयोग किया जाता है। प्लेन सिल्वर आयोडाइड नामक एक केमिकल को बादलों के बीच स्प्रे करता है। यह छिड़काव है। यह खेतों में बीज या खाद डालने की तरह है। यह आसमान में एरोप्लेन से होता है।
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