Budget 2024 : सेक्टर मजबूत तो देश मजबूत, रियल एस्टेट सेक्टर को है 4 बड़ी उम्मीदें, जानें क्या ?
रियल एसटेट डेवलपर्स ने बजट 2024 से चार बड़ी उम्मीदें रखी हैं, जो पूरी होने पर क्षेत्र और देश दोनों मजबूत होंगे।
Union Budget 2024 : नाइट फ्रैंक इंडिया और एनारॉक की रिपोर्टों ने पिछले दिनों सेक् टर बूम का संकेत दिया। कोविड के दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र की कमर टूट गई, लेकिन 2023 में यह क्षेत्र फिर से उभरा। दिल्ली, मुंबई सहित देश के आठ बड़े शहरों में भारी मात्रा में घर बिके, जो 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ गया।
तीसरी खबर यह है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2022–2023 में अप्रैल से दिसंबर के बीच निजी इक्विटी (PE) निवेश में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत की कमी हुई है। एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान वित्त वर्ष में PE निवेश का आंकड़ा 2.65 बिलियन डॉलर रह गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 3.6 बिलियन डॉलर था।
तीसरी खबर, दो विपरीत परिस्थितियों के बीच, यूनियन बजट (2024) की उम्मीदों को लेकर है। उस बजट से, जो वर्तमान केंद्रीय सरकार के कार्यकाल का अंतिम बजट है। ये बजट वोट होगा।
बजट पेश होने के कुछ ही महीने बाद आम चुनाव भी होने हैं, और चर्चा है कि सरकार इस बजट में कुछ बड़ी घोषणाएं नहीं करेगी. फिर भी कहते हैं कि दुनिया उम्मीद पर है। तो फिर रियल एसटेट सेकटर पीछे क्यों रहे? इस सेकटर को बजट से बहुत उम्मीदें हैं।
4 बड़े लक्ष्य: रियल एसटेट डेवलपर्स ने सरकार से चार महत्वपूर्ण उम्मीदें की हैं और वे दावा करते हैं कि अगर ये उम्मीदें पूरी हुईं तो न केवल क्षेत्र बल्कि देश भी मजबूत होगा। क्योंकि रियल एस्टेट सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। घरों की बिक्री बढ़ने से भवन निर्माण सामानों (सीमेंट, गिट्टी, ईंट और सरिया) की मांग बढ़ती है, जिससे बहुत से लोगों को रोजगार मिलता है।
1)। रियल एस्टेट को मिले इंडस्ट्री का दर्जा: ये मांग बहुत समय से है कि रियल एस्टेट सेक् टर को इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए। NDTV Profit हिंदी से बातचीत करते हुए गौड़ ग्रुप के CMD मनोज गौड़ ने कहा, "देश की आर्थिक ग्रोथ में रियल एस्टेट की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, इसे इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाना चाहिए।" यह हमारी सबसे बड़ी आशा है।'
रहेजा डेवलपर्स के नयन भी गौड़ की राय से सहमत हैं। मनोज गौड़ ने कहा कि इस बजट से टाइल, सीमेंट और स्टील जैसे निर्माण सामग्री के GST दरों को सही बनाया जाएगा।
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2)। होम लोन पर टैक्स छूट को बढ़ाना
नियमों को सरल बनाने और होम बॉयर्स और डेवलपर्स की मांग को बढ़ाने के लिए मनोज गौड़ स् ट्रै टेजिक राजकोषीय उपायों की उम्मीद कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि रेपो रेट बढ़ने से होम लोन महंगा हो रहा है, इसलिए इस क्षेत्र में तेजी नहीं आ पाएगी जब तक सरकार टैक्स छूट नहीं देती। उन् होंने कहा, "अंतरिम बजट में होम लोन पर टैक्स छूट को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जाए तो निश्चित तौर पर रियल एस्टेट सेक्टर में और तेजी आएगी।"'
काउंटी ग्रुप के निदेशक अमित मोदी ने कहा, "इनकम टैक्स एकट की धारा 24 के तहत होम लोन पर टैक्स छूट बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक करने से हाउसिंग मार्केट को बढ़ावा मिल सकता है।" खासकर घरेलू बजट सेगमेंट में, जहां कोविड के बाद से मांग घटी है।'
नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया था कि लगजरी घरों की बिक्री अच्छी तरह से हुई है, लेकिन किफायती घरों की बिक्री कम हुई है। 2022 में 27% से 2023 में 34% की कुल बिक्री में "एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले" घरों की हिस्सेदारी बढ़ी। वहीं, किफायती घरों का हिस्सा कुल घरों की बिक्री में 30% रह गया है। 2022 में यह हिस्सेदारी 37 प्रतिशत थी।
3)। किफायती घरों को लेकर मिली राहत के बारे में बोलते हुए, नयन रहेजा ने कहा, 'मकानों की लगातार बढ़ती मांग और नए मकानों के सीमित लॉन्च को देखते हुए किफायती घरों को लेकर भी सरकार कोई राहत भरी घोषणा करे तो बेहतर होगा।मनोज गौड़ ने भी कहा कि सरकार को इस बार के बजट में अफोर्डेबल घरों की पेशकश करनी चाहिए।
गौड़ ने कहा कि सरकार को अफोर्डेबल हाउस की परिभाषा बदलनी चाहिए। यदि सरकार इसमें बदलाव करती है तो अधिक से अधिक लोगों को अफोर्डेबल हाउस से मिलने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।'
अब एफोर्डेबल घर के लिए दो महत्वपूर्ण शर्तें हैं। पहली बात यह है कि इसकी कीमत 45 लाख रुपये से कम है। दूसरी बात, इस क्षेत्र का क्षेत्रफल 90 वर्ग मीटर का होगा।
एफोर्डेबल घरों पर GST का 1% रेट लागू होता है, जबकि बाहर के घरों पर 5% GST लागू होता है।
Real Estate Developers चाहते हैं कि दोनों शर्तों में बदलाव हो। GST में छुटकारा पाने के लिए कीमत को 45 लाख रुपये से बढ़ाया जाए और क्षेत्र को 90 वर्ग मीटर से बढ़ाया जाए।
4) सिंगल विंडो व्यवस्था बनाने वाले सरकार रहेजा डेवलपर्स ने कहा कि सरकार को इस क्षेत्र में एक विंडो क्लियरेंस लागू करना चाहिए। इससे इस क्षेत्र को काफी लाभ मिलेगा। इससे अप्रूवल वगैरह में डेवलपर्स का बहुत अधिक समय बर्बाद नहीं होगा, और बचे हुए समय को परियोजना के निर्माण और खरीदारों को समय पर डिलीवरी में लगाया जा सकेगा।
सहभागिता और