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CAA पर गुड न्यूज, मिलने लगी नागरिकता, गृह मंत्रालय ने 14 लोगों को सौंपे दस्तावेज़

CAA Latest Update: नागरिकता संशोधन कानून के तहत 14 लोग नागरिक बन गए हैं। धार्मिक कारणों से ये लोग पड़ोसी देशों से उत्पीड़ित होकर भारत आए थे। ये इस कानून से नागरिकता पाने वाले पहले व्यक्ति हैं।

 
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New Delhi. 14 लोग नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं। धार्मिक कारणों से ये लोग पड़ोसी देशों से उत्पीड़ित होकर भारत आए थे। ये इस कानून से नागरिकता पाने वाले पहले व्यक्ति हैं। उनके आवेदन को बुधवार को होम मिनिस्ट्री (Ministry of Home Affairs) ने नागरिकता से संबंधित दस्तावेजों के साथ मंजूर कर लिया।

केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह कानून 2019 में पारित किया गया था और इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए थे। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि CAA क्या है और इससे जुड़ा विवाद क्या है?

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) 11 दिसंबर, 2019 को संसद में पारित किया गया था। जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना है। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है और यही विवाद की वजह भी है। विपक्ष का कहना रहा है कि यह कानून संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है—जो समानता की बात करता है।

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CAA पर क्या है आपत्ति?
एक तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि CAA धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को आसरा देने के लिए लाया गया है। तो दूसरी तरफ CAA के विरोध में कहा जा रहा है कि यह मुसलमानों को बेघर करने के मकसद से लाया गया कानून है। जब 2019 में इस कानून पर लोकसभा में बहस चल रही थी तब AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया था कि कानून का इरादा मुसलमानों को बेघर करना है।

दरअसल सीएए को एनआरसी से जोड़कर देखे जाने पर समस्या खड़ी होती है, कहा जाता है अगर एक मुसलमान NRC के दौरान अपने नागरिकता से जुड़े दस्तावेज दिखाने में नाकामयाब होता है तो उसे मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। इसके जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने इंडिया टूडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सीएए को एनआरसी से जोड़कर ना देखा जाए और किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जाने वाली है।

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इस दौरान ज़िक्र आता है एनपीआर का, जिसे एनआरसी की पहली स्टेप माना जाता है। माना जाता है कि एनपीआर होने के दौरान सरकारी कर्मचारी हर घर में जाएंगे, हर शख्स का डेटा जमा करेंगे। इसके आधार पर एक लिस्ट तैयार होगी जिसमें ‘Doubtful citizens’ के नाम लिखे जाएंगे और इन नागरिकों से कहा जाएगा कि वह नागरिकता को प्रामाणित करने वाले दस्तावेज़ पेश करें यानी ये साबित करें कि वह भारत के नागरिक हैं या नहीं। इसके बाद एक लिस्ट तैयार होगी जो यह तय करेगी कि इनमें से कितने अपनी नागरिकता साबित कर पाएं हैं और कितने नहीं। जो नागरिक विफल होंगे उन्हें ‘डिटेनशन सेंटर’ भेज दिया जाएगा।

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