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Chanakya Neeti: महिलाओं की ये बातें पुरुषों को 1 सेकेंड में कर देती हैं गायल

Chanakya Neeti: स्त्रियां अपनी मधुर वाणी से हर किसी को अपना मुरीद बना लेती हैं। मधुर बोलने वाली महिलाओं का हर जगह सम्मान होता हैं, जानें पूरी जानकारी।
 
Chanakya Neeti

Haryana Update: आपको बता दें, की आचार्य चाणक्य की कुछ बातें आज भी हमारे जीवन और समाज में काम करती हैं और उन्हें नई दिशा देती हैं। आचार्य चाणकय (Chanakya Neeti news) ने लगभग हर बात बताई है। आचार्य चाणक्य (Chanakya Neeti Big News) ने महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बहुत कुछ कहा है। यदि इन विचारों को सही समय पर सही तरीके से अमल में लाया जाए तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी। शास्त्रों में स्त्रियों को शक्ति का रूप माना गया है, लेकिन चाणक्य ने कहा कि स्त्रियों की सबसे बड़ी शक्ति क्या होती है, और इस शक्ति के बल पर ही स्त्रियां पूरी दुनिया को जीत सकती हैं।  आइए जानते हैं महहला की इस शक्ति। 

चाणक्य (Chanakya Neeti Hindi) कहते हैं कि मधुर वाणी महिलाओं की सबसे बड़ी ताकत है। चाणक्य ने महिलाओं के सौंदर्य को उनकी शक्ति भी बताया है, लेकिन मधुर वाणी के आगे शारीरिक सुंदरता कम आंका जाता है, जो सही है। स्त्रियां अपनी मधुर वाणी से हर किसी को अपना मुरीद बना लेती हैं। मधुर बोलने वाली महिलाओं का हर जगह सम्मान होता है, उनके ये गुण कुल का मान बढ़ाते हैं और इस शक्ति की बदोलत घर की कई पीढ़िया को अच्छे संस्कार मिलते हैं।

महिला के शरीर की बनावट भी उसकी सर्वश्रेष्ठ विशेषताओं में से एक है।  किसी महिला का शरीर जितना सुडौल और सुंदर होगा, उतना ही पुरुष उसकी तरफ आकर्षित होंगे; एक सुंदर महिला अपने हुस्न से पूरी दुनिया जीत सकती है।  चाणक्य ने भी राजाओं और ब्राह्मणों की शक्ति बताई है। 

ब्राह्मण की शक्ति: चाणक्य नेती (Chanakya Neeti) का मत है कि ब्राह्मण की सबसे बड़ी शक्ति और धन ज्ञान है। इससे वह समाज में पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। आचार्य चाणक्य ने कहा कि ज्ञान हर व्यक्ति की शक्ति है, न सिर्फ ब्राह्मणों की। विपरीत परिस्थितियों में ज्ञान ही आपको संकटों से बचाने में मदद करता है।

राजा की शक्ति उसके बल पर निर्भर करती है। राजा के पास कई मंत्री-संत्री होते हैं, लेकिन दुर्बल राजा लंबे समय तक राजगद्दी पर नहीं रह सकता। राजा स्वंय शक्तिशाली होगा, इसलिए वह अपने राज्य को सही ढंग से चला पाएगा। लीडर के तौर पर समझें: मानसिक और शारीरिक बल के बिना शासन ठीक नहीं होगा, न ही संस्थान तरक्की कर पाएगा।

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