CRUDE OIL: कच्चे तेल की खपत में चीन को पछाड़ देने वाला है भारत! जानिए यह अच्छी खबर या बुरी?
Haryana Update, INDIA CRUDE OIL NEWS: चीन को भारत ने पहले ही जनसंख्या के मामले में पीछे छोड़ रखा है और अब कच्चे तेल के उपभोग के मामले में भी भारत चीन को पीछे छोड़ने की तैयारी में है इसे वजह से अपने देश यानि भारत में तेजी से तेल की खपत में बढ़त हुई है जो साल 2022-23 में पेट्रोल की खपत 13.4 फीसदी और डीजल की खपत 12.1 फीसदी बढ़ी है.ये बढ़त विकसित देशों में सबसे ज्यादा है और ये रफ्तार अगले कुछ सालों तक कम होने की उम्मीद नहीं है.
भारत ,अमेरिका और चीन पूरी दुनिया के तीन सबसे बड़े कच्चे तेल खपत करने वाले देश है इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट बताती है कि साल 2027 तक भारत कच्चे तेल की खपत में चीन को पीछे छोड़ देगा और अमेरिका के बाद दुनिया का सबसे बड़ा तेल की खपत करने वाला बन जाएगा. आउटलुक (OUTLOOK) ने ‘ऑयल 2023’ नाम की रिपोर्ट में बताया है कि चीन में साल 2024 से घरेलू खपत गिरने से कच्चे तेल की मांग लगातार कम हो रही है
कच्चा तेल किसे कहते है
CRUDE OIL को हिंदी में कच्चा तेल कहा जाता है और कच्चा तेल वह तेल है जो प्राकृतिक स्रोतों से निकाला जाता है और किसी भी तरह से उसका इस्तेमाल नहीं किया गया होता है जैसा ये प्राकृतिक स्रोतों से निकाला जाता है वैसा ही रहता है यह जमीन के नीचे से खोदकर निकाला जाता है, जब इससे जमीन के नीचे से खोदकर निकालते है तब यह कच्चा तेल गाढा और काले रंग का होता है. उसके बाद कच्चे तेल को फैक्ट्रियों में रिफाइन मशीनरी में रिफाइन कर अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं इससे सिर्फ पेट्रोल-डीजल ही नहीं बल्कि केरोसिन, मोटर ऑयल, गैस, कोलतार, नैफ्था, लुब्रिकेटिंग, नैपाम, प्लास्टिक भी बनाया जाता है.
कच्चे तेल की कीमत घटती-बढ़ती रहती है. अभी ये कीमत 79 डॉलर प्रति बैरल है और साल 2023 में क्रूड ऑयल यानि कच्चे तेल की कीमत ज्यादा से ज्यादा 95 डॉलर प्रति बैरल तक रही है. 2022 में ये कीमत 124 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी क्ककच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगा होने लगता है और आपको बता दे की एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है.
भारत में कच्चे तेल की कितनी होती है खपत ?
कच्चे तेल की खपत के मामले में अमेरिका, चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में सबसे ज्यादा 19.89 मिलियन बैरल प्रतिदिन की खपत है. वहीं चीन में 15.27 मिलियन बैरल प्रतिदिन खपत है. इसके बाद भारत में करीब 5 मिलियन बैरल तेल प्रतिदिन उपयोग में आता है. भारत में इराक से सबसे ज्यादा तेल का आयात होता है. इसके बाद रूस और सऊदी अरब से तेल आता है.
चीन में तेल की खपत घटने का अनुमान कैसे?
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में चीन में तेल की मांग में गिरावट देखने को मिल सकती है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि वहां इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग तेजी से बढ़ रही है. पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों की बजाए लोग इलेक्ट्रिक कारें खरीदना पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा पब्लिक वाहनों को भी इलेक्ट्रिक ढांचे में ढाला जा रहा है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की खपत होना स्वाभाविक है. हालांकि भारत सरकार में भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. हालांकि OPEC और IEA को उम्मीद है कि चीन में तेल मांग कम नहीं होगी.
आये जानते है भारत को क्या नुक्सान ?
मानाकि भारत अभी भी कच्चे तेल का एक बड़ा आयातक है. भारत की कच्चे तेल की मांग में वृद्धि से भारत की कच्चे तेल की आयात निर्भरता बढ़ सकती है इस वजह से भारत की आर्थिक सुरक्षा पर जोखिम बढ़ सकता है कच्चे तेल की कीमतें कभी भी कम ज्यादा होती हैं.भारत की कच्चे तेल की आयात बढ़ने से भारत को कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का काफी जोखिम उठाना पड़ सकता है. इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
कच्चे तेल का उपयोग करने से पर्यावरण प्रदूषण होता है. भारत की कच्चे तेल की खपत में बढ़ोतरी से भारत को कच्चे तेल के पर्यावरणीय प्रभावों से निपटने के लिए अधिक कदम उठाने पड़ सकते हैं. इससे भारत की आर्थिक लागत बढ़ सकती है.