Delhi News : दिल्ली में अवैध निर्माण पर लगी रोक, 1 लाख मकानो पर होगी कारवाई
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून (विशेष प्रविधान) को दिल्ली में अधिकृत और अनधिकृत कॉलोनियों में अवैध निर्माण को सुरक्षित रखने वाले बिल को तीन साल के लिए विस्तार देने का प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया है, लेकिन दिल्ली में अवैध निर्माण और उससे होने वाली समस्याओं को समझने वाले लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं।
अवैध निर्माण पर लटकी कार्रवाई के साथ ही वह सरकार से इसमें बदलाव करके स्थायी समाधान की ओर बढ़ने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रस्तावित बिल में किए गए प्रावधानों को बेहतर बनाया जाना चाहिए ताकि दिल्ली का नियोजित विकास किया जा सके। जानकारों का कहना है कि बिल में इस कानून की समाप्ति तिथि को बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है, जिससे पिछले आठ-नौ वर्षों में हुए अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई है।
ऐसी संपत्ति एक लाख से अधिक है। जैसा कि दिल्ली नगर निगम में निर्माण समिति के पूर्व अध्यक्ष जगदीश ममगांई बताते हैं, दिल्ली में नियमित क्षेत्रों में अवैध निर्माण को बचाने की कटआफ डेट 2007 है, जबकि अनधिकृत कॉलोनियों और ग्रामीण क्षेत्रों में 2014 है। लोकसभा ने एक्ट की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन इससे कोई स्थायी समाधान नहीं मिलेगा।
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ऐसे में कम से कम लोगों का शोषण रोका जा सकता है जब तक यह स्थायी समाधान नहीं आता है। उन्हें बताया कि दिल्ली में मासिक रूप से लगभग आठ से नौ हजार संपत्ति अवैध निर्माण के लिए दर्ज की जाती है। अब, ताकि इन कॉलोनियों को कोई नुकसान न हो, सरकार हर तीन साल में इस बिल को बढ़ा देती है. हालांकि, 2014 की कटौती नहीं बढ़ाई गई है।
दिल्ली में इस बिल से सुरक्षित कॉलोनियों में एक लाख से अधिक अवैध संपत्ति हैं। अब समस्या यह है कि इन्हें तोड़ नहीं सकते, लेकिन निगम के अधिकारी या अवैध निर्माण के नाम पर ब्लैकमेलिंग करने वाले लोग इसका फायदा उठाते हैं। इससे लोग शोषित होते हैं। यही कारण है कि सरकार को कम से कम 2023 तक इसकी तिथि निर्धारित करनी चाहिए और फिर सख्ती से इसका पालन करना चाहिए ताकि अवैध निर्माण न हों।
2006-07 में दिल्ली में अवैध निर्माणों पर तोड़फोड़ और सीलिंग की कार्रवाई हुई, जो स्थायी समाधान की ओर नहीं बढ़ रही थी। केंद्र की कांग्रेस सरकार ने इस अवैध निर्माण को बचाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कानून बनाया, जिसे विशेष प्रविधान भी कहा जाता था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार एक वर्ष के भीतर स्थायी समाधान बनाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
इस कानून को बार-बार बढ़ाया गया है, लेकिन अभी तक एक स्थायी समाधान नहीं मिल सका है। दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देने के लिए सरकार ने पीएम उदय योजना शुरू की थी, जिसमें 55 लाख लोगों को लाभान्वित होने का दावा किया गया था, लेकिन आज 20 हजार लोगों ने इसका लाभ उठाया है।