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चाणक्य की यह निति अपनाकर पायें सफलता, जानिए जीवन का कड़वा सच!

Chanakya niti: सुखी और संपन्न जीवन पाना हर व्यक्ति की चाहत होती है. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति का अच्छा और बुरा समय उसके कर्मों पर निर्भर करता है. इसे सरल बनाने के लिए पेश है चाणक्य निति का कुछ भाग...
 
चाणक्य की यह निति अपनाकर पायें सफलता, जानिए जीवन का कड़वा सच!
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Chanakya niti: सुखी और संपन्न जीवन पाना हर व्यक्ति की चाहत होती है. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति का अच्छा और बुरा समय उसके कर्मों पर निर्भर करता है. कहते हैं कि सब्र का फल मीठा होता है लेकिन कर्म का फल ओर भी मीठा होता है.चाणक्य नीति में सफलता पाने के लिए कई तरीके बताए गए हैं लेकिन इंसानों के जीवन का एक ऐसा सच है जिसे अपनाना हर किसी के बस की बात नहीं, लेकिन यही सफलता की कुंजी भी है.(चाणक्य निति)

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जो इस कड़वे सच से रूबरु होकर उसके अनुरूप अपना कार्य करते हैं उनके लिए जहर का घूंट भी मिश्री की तरह मिठा स्वाद देता है. आइए जानते हैं चाणक्य के अनुसार क्या है जीवन का सबसे बड़ा और कड़वा सच.(चाणक्य निति)

कस्य दोषः कुले नास्ति व्याधिना को न पीडितः।

व्यसनं केन न प्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम् ।।

अर्थ - किसके कुल में दोष नहीं है ? रोग के कारण दुख किसे नहीं होता है. दुःख किसे नहीं मिलता है और लंबे समय तक कौन है जो सुखी रह पाता है.(चाणक्य निति) इन सबका एक ही निचोड़ है कमी हर जगह, हर व्यक्ति में है और यही एक कड़वी सच्चाई.

ऐसे लोग होते हैं सफल

चाणक्य कहते हैं कि कमी हर जगह, हर व्यक्ति में होती है लेकिन अगर हम अपना नजरिया सकारात्मक कर लें तो जहर का कड़वा घूंट भी मिठी मिश्री की तरह स्वाद देने लगता है.(चाणक्य निति) चाणक्य उदाहरण से बताते हैं कि बांस एक ही होता है लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसे तीर बनाकर किसी दूसरे को घायल करना है या उसी की बांसुरी बनाकर लोगों में मधुर रस घोलना है.

जो हालात के मद्देनजर अपना काम करता है वह कभी असंतुष्ट नहीं होता और हर काम को बेहतर ढंग से कर पाता है जिससे उसे सफलता मिलती है. अपनी छवि को इस तरह ढाल लो कि अगर कोई आपकी बुराई भी करे तो दूसरा उस पर कभी विश्वास न करे.(चाणक्य निति)

नजर नहीं नजरिया जरुरी है

चाणक्य ने इस श्लोक के जरिए व्यक्ति को उस सच्चाई से रूबरू कराने की कोशिश की है जिसे वह जितनी जल्दी समझ ले, तकलीफें उतनी कम होती चली जाएंगी. चाणक्य कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं है, रिश्तों में सुखी रहना है तो दूसरों की बुराई करने से बेहतर है उसकी अच्छाईयों पर गौर किया जाए. वहीं कार्यस्थल पर अगर सफलता पानी है तो सहयोगी की कमियां गिनाकर उसे नीचा न दिखाएं बल्कि आगे ऐसी कोई गलती न हो इसके लिए तैयार करें और मोटिवेट करें.

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