Haryana News: हरियाणा की ये धाकड़ योजना बेरोजगार युवाओं देगी मालामाल, अब मिल रही ट्रेनिंग! आप भी उठाये लाभ
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा. पंकज सारस्वत ने बताया कि केंद्र की ओर से मधुमक्खी पालन में किसानों और विशेष रूप से युवाओं को पारंगत करने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं।
Haryana Update: बदलते परिदृश्य में राज्य के ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के लिए मधुमक्खी पालन रोजगार का बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। इसके लिए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के जिला कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से युवाओं को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि मधुमक्खी पालन से शहद के साथ ही अन्य उत्पाद भी मिलते हैं। आज इनका काफी अच्छा बाजार मूल्य है।
इस कार्य की ओर निरंतर आकर्षित हो रहे युवा
मधुमक्खी पालन बहुत कम लागत में आरंभ किया जा सकता है। इसलिए भूमिहीन बेरोजगार ग्रामीण युवा इस कार्य की ओर निरंतर आकर्षित हो रहे हैं। इस संदर्भ में चर्चा में एनडीआरआइ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा. पंकज सारस्वत ने बताया कि केंद्र की ओर से मधुमक्खी पालन में किसानों और विशेष रूप से युवाओं को पारंगत करने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं।
मधुमक्खी पालन वस्तुत: आय सृजन व वृद्धि के अतिरिक्त साधन के रूप में युवाओं के बीच काफी पसंद किया जा रहा है। इसमें निवेश बहुत कम होता है और कृषि के विभिन्न आयामों के साथ कोई स्पर्धा भी नही होती है। केंद्र में विशेषज्ञ शहद के गुणों और इसकी गुणवत्ता के परीक्षण की जानकारी भी देते हैं। इस प्रक्रिया की मदद से करनाल व आसपास के जिलों के सैकड़ों किसान मधुमक्खी पालन को पूर्ण या अंशकालिक व्यवसाय के रूप में अपना चुके हैं। इससे उनकी आय में वृद्धि भी हुई है।
आयुर्वेदिक दवाइयों और कास्मेटिक उद्योग में काफी इस्तेमाल
कृषि विज्ञान केंद्र में मधुमक्खी पालन के विषय विशेषज्ञ डा राकेश कुमार टोंक बताते हैं कि बदलते परिदृश्य में मधुमक्खी पालन में विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जा रहा है। प्रशिक्षण प्रक्रिया में प्रतिभागियों को मधुमक्खी के बक्सों के रखरखाव, वर्ष भर उत्पादन लेने के लिए मधुमक्खी के बक्सों का बी-फ्लोरा की उपलब्धता के अनुसार माइग्रेशन, रानी मधुमक्खी बनाने की तकनीक व मधुमक्खी कालोनी की संख्या बढ़ाने आदि के बारे में बहुपयोगी जानकारी दी जाती है।
मधुमक्खी पालन से शहद के साथ प्राकृतिक- मोम यानि बी वैक्स, प्रोपालिश, रायल जेली, बी पोलन और बी वेनम भी मिलता है। इन उत्पादों से किसानों को अच्छी आय प्राप्त होती है। इनका आयुर्वेदिक दवाइयों और कास्मेटिक उद्योग में काफी इस्तेमाल होता है। इससे उत्पादकों को अच्छा बाजार मूल्य मिलता है। कम लागत में इसे शुरू किया जा सकता है।