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Income Tax : लाखो की कमाई करने पर भी नहीं लगेगा टैक्स, अपनाएं ये कमाल की ट्रिक्स

इन्कम टैक्स नियमों के अनुसार, टैक्स डिडक्शन और टैक्स एग्जम्प्शंस का सही उपयोग करने से टैक्स बचाया जा सकता है। हालाँकि, इसके लिए आपको अपनी सैलरी श्रृंखला को टैक्स के दायरे से बाहर रखना होगा।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

 
Income Tax : लाखो की कमाई करने पर भी नहीं लगेगा टैक्स, अपनाएं ये कमाल की ट्रिक्स 
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Haryana Update : नव वर्ष शुरू हो गया है। अब धन की योजना बनाने का समय है। लेकिन इससे पहले, मौजूदा वित्त वर्ष के लिए टैक्स बचाने का प्रयास करना चाहिए। आप योजना बनाकर टैक्स बच सकते हैं। अगर योजना सही रही तो आपकी सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। जीरो टैक्स। 


पुनर्वास लाभदायक होगा
इन्कम टैक्स नियमों के अनुसार, टैक्स डिडक्शन और टैक्स एग्जम्प्शंस का सही उपयोग करने से टैक्स बचाया जा सकता है। हालाँकि, इसके लिए आपको अपनी सैलरी श्रृंखला को टैक्स के दायरे से बाहर रखना होगा। रीइम्बर्समेंट से भी अधिक लाभ उठा सकते हैं। 

जीरो टैक्स क्या होगा?

अब मामला ये है कि आय पर कोई टैक्स न लगे, इसके लिए निवेश और बचत का सही अनुपात बनाना होगा। यदि आप 12 लाख रुपये की कमाई करते हैं और रिइम्बर्समेंट और इन्वेस्टमेंट टूल्स का भरपूर लाभ उठाते हैं, तो आपकी कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। बिना टैक्स के ही पूरी सैलरी मिलेगी। 

सैलरी स्ट्रक्चर क्या है?

सैलरी स्ट्रक्चर को बदलने का विकल्प आपके पास है। आप भी कंपनी के कर्मचारियों से इसकी रिक्वेस्ट कर सकते हैं। वापसी की सीमा है। लेकिन, इसमें कई उपयोग हो सकते हैं। रीइम्बर्समेंट में कन्वेंस, LTA, मनोरंजन, ब्रॉडबैंड बिल, पेट्रोल बिल और मनोरंजन या खाद्य सामग्री का भी उपयोग किया जा सकता है। इन सभी की सहायता से कर बचाया जा सकता है। HRA भी टैक्स बचाने का एक विकल्प है।

HRA का फायदा

HRA क्लेम में तीन आंकड़ों का उपयोग किया जाता है। इन तीनों में से सबसे छोटा टैक्स छूट पाएगा। सैलरी स्ट्रक्चर में कंपनी का HRA दोनों मेट्रो और नॉन मेट्रो शहरों पर निर्भर करता है। मेट्रो शहरों में बेसिक सैलरी का 50% और गैर-मेट्रो शहरों में बेसिक सैलरी का 40% HRA मिल सकता है। HRA प्राप्त करने के लिए कुल रेंट में से बेसिक सैलरी का 10% घटाना चाहिए। 

आपका HRA कैसे निर्धारित होगा?

मेट्रो शहर में 20 हजार रुपये किराया है। यह आपकी कुल मंथली सैलरी का बीस प्रतिशत है। CTC का 50% बेसिक सैलरी होगा। ऐसे में आपकी मूल रकम छह लाख रुपए है। कंपनी को बेसिक सैलरी का लगभग 40% HRA मिलेगा, जो लगभग 2.40 लाख रुपए प्रति वर्ष होगा। लेकिन मेट्रो शहर में रहने के कारण आप 50% HRA (यानी 3 लाख रुपए) ले सकते हैं। 20 हजार रुपये का सालाना किराया 2.40 लाख रुपये हो गया। HRA का कुल मूल्य 1.80 लाख रुपए था, जब बेसिक सैलरी का 10% यानी 60 हजार रुपए घटाया गया। अब ऊपर दिए गए तीनों आंकड़ों में सबसे कम 1.80 लाख रुपए है। इस स्थिति में आप एक साल में 1.80 लाख रुपये क्लेम कर सकते हैं।

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LTA—लीव ट्रैवल सुविधा

LTA का लाभ चार वर्ष में दो बार मिल सकता है। इसमें ट्रैवल योजना का किराया शामिल है। ये आपकी मूल सैलरी का दस प्रतिशत होता है। 6 लाख रुपये की बेसिक सैलरी पर 60 हजार रुपये की LTA दी जाएगी। 30 हजार रुपए की सालाना औसत पर टैक्स छूट मिल सकती है। 

रीइम्बर्समेंट का लाभ क्या होगा?

कन्वेंशन अनुदान: 12 लाख रुपये के सैलरी ब्रैकेट वालों को अक्सर 1 से 1.50 लाख रुपये का रिटर्न मिलता है। यही कारण है कि 1.50 लाख रुपए का कन्वेंस अलाउंस पूरी तरह से असंभव होगा।
अंतरराष्ट्रीय बिल: ब्रॉडबैंड बिल भी टैक्स से छूट सकता है। रीइम्बर्समेंट में इसे शामिल करना चाहिए। हर महीने 700 से 1000 रुपये का एक अलाउंस मिलता है। मान लें कि इसके तहत आपको प्रति महीने 1000 रुपए मिलते हैं, यानी सालाना 12000 रुपए की गैर-टैक्सेबल सैलरी मिलेगी।

 

Entertainment Restoration में खाने-पीने का बिल दिखाकर इसका दावा कर सकते हैं। 12 लाख रुपये से अधिक की सैलरी वालों को हर महीने 2000 रुपये, यानी 24 हजार रुपये तक गैर-टैक्स होगा।
पेट्रोल बिल्स, यूनीफॉर्म या बुक्स: विभिन्न कंपनियां यूनीफॉर्म, पेट्रोल या बुक्स बिल के नाम पर पुनर्गठन करती हैं। इस श्रेणी में भी आप 1000 से 2000 रुपये ले सकते हैं। हर महीने 1000 रुपये वापस देने से सालाना 12 हजार रुपये गैर-टैक्स कैटेगरी में आ जाएंगे।
इनकम टैक्स प्राप्त होगा।

टैक्स सैलरी को कम करने के लिए इनकम टैक्स कानून में कुछ डिडक्शन मिलते हैं।
बेसिक आय से छूट: इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की सैलरी गैर-टैक्स योग्य नहीं है। मतलब, 2.5 लाख रुपये तक की कुल कमाई से टैक्स छूट नहीं मिलेगी। लेकिन अंततः इसे कैलकुलेट किया जाता है।
स्टैंडर्ड उत्पादन: 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन सबसे पहले मिलेगा। मतलब, आपकी कुल सैलरी में से पच्चीस हजार रुपए कम कर दीजिए।
 कथन 80C: 1.50 लाख रुपये तक का निवेश इसमें टैक्स छूट पा सकता है। इसमें सुकन्या समृद्धि योजना, EPF, PPF, NPS, बच्चे की ट्यूशन फीस, LIC और होम लोन प्रिंसिपल शामिल हैं। इसकी पूरी सीमा का इस्तेमाल करके 1.50 लाख रुपए का भुगतान कर सकते हैं।
80CCD(1B) सेक्शन: इससे NPS में 50 हजार रुपये के अतिरिक्त निवेश का लाभ मिलता है।
सेक्शन 80D में: आप खुद के लिए हेल्थ इंश्योरेंस ले सकते हैं और इससे 25 हजार रुपए तक टैक्स बच सकते हैं। इसके अलावा, 25 हजार रुपए तक पैरेंट्स के स्वास्थ्य बीमा पर टैक्स छूट मिल सकती है। इसका कुल उत्पादन 50 हजार रुपये हो सकता है। सीनियर सिटीजन डिडक्शन की सीमा पचास हजार रुपए होगी अगर पैरेंट्स 65 वर्ष से अधिक के हैं। 75 हजार रुपये तक टैक्स बच सकते हैं। 80D में आप 50 हजार रुपए के कुल टैक्स बचाएँगे।
अब नॉन-टैक्सेबल और टैक्सेबल कैलकुलेशन को समझें।

पहली HRA— 1.80 लाख रुपए तक की टैक्स छूट मिल सकती है। 
दूसरा पुनर्निर्माण— कुल 1.98 लाख रुपये के रीइम्बर्समेंट को जोड़कर देखें। 
तीसरा निकास: 3 लाख रुपये का उत्पादन होगा। 
LTA: चौथा लीव ट्रैवल अलाउंस 30 हजार रुपये की टैक्स छुट्टी मिलेगी। आपकी कुल सैलरी से 7.08 लाख रुपए पर टैक्स नहीं लगेगा।

अब इनकम टैक्स नहीं होगा


उसकी सालाना कमाई 12 लाख रुपये है। 7.08 लाख रुपये पर टैक्स नहीं लगेगा। अब तक टैक्सेबल सैलरी 4.92 लाख रुपए है। अब आयकर का एक और नियम सामने आएगा। यदि टैक्सेबल सैलरी 5 लाख रुपए से कम है तो वह सेक्शन 87A के तहत रिबेट पर मिलेगी। 2.5 से 5 लाख रुपए तक की सैलरी पर 5% टैक्स लगता है, लेकिन 5 लाख रुपए से कम की कुल सैलरी पर 2.5 लाख रुपए की रिबेट मिलेगी। शेष २.५० लाख रुपये को मूल्यांकन छूट के अधीन रखा जाएगा। इससे आपकी पूरी सैलरी टैक्स से छूट जाएगी। नतीजतन, आपका सारा टैक्स जीरो (0) है।