Income Tax: अब आपकों बैंक खाते में आने वाले ब्याज की जानकारी रखेगी केंद्र सरकार! जानिए....
Income Tax Notification: केंद्र सरकार लोगों की आमदनी पर नजर रखकर उनसे टैक्स वसूलने की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम कर रही है. केंद्र सरकार का इनकम टैक्स विभाग अब आपके सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर भी नजर रखने जा रहा है. बैंक, वित्तीय संस्थाओं या डाकघर में आपकी जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज के पाई-पाई पर आयकर विभाग की नजर होगी.
Income Tax का दायरा बढ़ाने में मिलेगी मदद
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इससे उसे टैक्स का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि हर तरह के बैंक अकाउंट पर दिए जा रहे ब्याज की जानकारी इनकम टैक्स अधिकारियों को देनी होगी. किसी भी फाइनेंशियल ईयर में किसी बैंक अकाउंट पर कितना ब्याज चुकाया जा रहा है, यह जानकारी सरकार को देना जरूरी है.
Income Tax कानून के सेक्शन 80टीटीए के तहत
Income Tax कानून के सेक्शन 80टीटीए के तहत 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को बचत बैंक खातों (सेविंग्स बैंक अकाउंट) से मिलने वाली 10 हजार रुपये तक की ब्याज पर छूट मिलती है, वहीं इन्कम टैक्स कानून के सेक्शन 80टीटीबी के तहत 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्ति को विभिन्न स्रोतों (सेंविग्स बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट या डाकघऱ की बचत योजनाएं) से मिलने वाली 50 हजार रुपये तक की ब्याज आय पर आयकर से छूट मिलती है. बांड या डिबेंचर से होने वाले ब्याज आय़ को इसमें शामिल नहीं किया जाता.
Income Tax: जानकारों की माने तो इससे आयकर की चोरी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. हालांकि इससे ब्याज रकम पर आयकर की छूट की व्यवस्था (आयकर कानून की धारा 80टीटीए व 80 टीटीबी) में कोई बदलाव नहीं होगा.
आयकर विभाग ने एक अधिसूचना की जारी
आयकर विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर बैंक, वित्तीय संस्थाओं और डाकघरों को कहा है कि वे जनधन को छोड़ हर खाते पर दिए जाने पर ब्याज की पूरी-पूरी जानकारी दे.
पहले प्रति व्यक्ति प्रति वित्त वर्ष 5000 रु या उससे ज्यादा के ब्याज की जानकारी देनी होती थी, लेकिन 5 जनवरी से यह सीमा लागू नहीं होगी और शून्य से ज्यादा दिए ब्याज की जानकारी देनी होगी.
केंद्र सरकार के इस प्रावधान पर अमल शुरू होते ही सिस्टम में एक बदलाव आएगा, उससे टैक्स डिपार्टमेंट को किसी करदाता द्वारा पाए गए ब्याज की कुल रकम की जानकारी मिल जाएगी. इससे टैक्स लीकेज या टैक्स चोरी जैसे मामलों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.