बुरे समय में डरकर कायर बनने की जगह करें आचार्य चाणक्य की इन बातों पर अमल !
Chanakya niti: आजकल हर कोई अपने जीवन में सफल होना चाहता है। हालांकि, काम, क्रोध, लोभ और लालच की वजह से लोग अपने जीवन में कई मुश्किलें खड़ी कर लेते हैं। इससे व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। कई बार लोग निराश और हताश हो जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए जीवन यापन करना बेहद कठिन हो जाता है।
अगर आप भी अपने जीवन में कार्य या भाग्य की वजह से विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं, तो आचार्य चाणक्य की इन बातों का जरूर ध्यान रखें। इन बातों का ख्याल रखने से आप न केवल सुखमय जीवन व्यतीत करेंगे, बल्कि आने वाली मुसीबतों का भी आसानी से हल कर सकते हैं। (Chanakya niti)आइए जानते हैं-
-आचार्य चाणक्य की मानें तो जीवन में भूत और भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए। जो बीत गया है, वो दौर ना आयेगा। वहीं, भविष्य कैसा रहेगा ? ये केवल परमात्मा जानता है। इसके लिए वर्तमान में जीने की कोशिश करें।(Chanakya niti) वर्तमान की विपत्ति ही भविष्य की संपत्ति होती है। ये विपत्ति ही आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
-विषम परिस्थिति में शिक्षा ही काम आती है। इससे व्यक्ति का विकास होता है। इसके लिए विपत्ति आने पर बुद्धि से कार्य करें। जल्दबाजी में कोई फैसला न लें। इससे बने काम बिगड़ जाते हैं। (Chanakya niti)इसके लिए शिक्षा बहुत जरूरी है। अपने बच्चे को भी शिक्षित करें।
-आचार्य चाणक्य का कहना है कि मित्रता में स्वार्थ अवश्य छिपा रहता है। (Chanakya niti)इसके लिए सीमित संख्या में मित्र रखें। इनमें विश्वास पात्र मित्र को ही शामिल करें। बुरे दिनों में सच्चे मित्र जरूर साथ देते हैं। उनकी मदद ले सकते हैं।
-आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति को कभी सीधा नहीं होना चाहिए। सीधे पेड़ को सबसे पहले काट दिया जाता है। इसके लिए व्यक्ति को अन्य लोगों के लिए टेढ़ा रहना चाहिए। इससे आने वाली बला भी टल जाती है।
-जीवन यापन के लिए धन जरूरी है। इसके लिए धन अर्जन हेतु प्रयासरत रहना चाहिए। (Chanakya niti)धनी व्यक्ति के सगे संबंधी भी अधिक होते हैं। इसके लिए धनी बने। धन से मुश्किलों का हल आसानी से कर सकते हैं।
-काम, क्रोध और लोभ से व्यक्ति को दुख मिलता है। इसके लिए संतोषी बनना सीखें। अगर आप संतोष करना सीख जाते हैं, तो हर परिस्थिति में जीवन यापन कर सकते हैं।
-व्यक्ति को जीवन में हमेशा कर्मशील रहना चाहिए। साथ ही वक्त का पाबंद जरूरी है।(Chanakya niti) आचार्य चाणक्य कहते है कि जो लोग अनुशासनहीन होकर जीवन यापन करते हैं। वे लोग अपने और अपने सगे संबंधियों के लिए मुश्किलें खड़ा करते हैं।