logo

Supreme Court : पिता की जायदाद में औलाद हक जताने से पहले जान लें ये बातें, कोर्ट ने किया ऐलान

Supreme Court Decision : प्रोपर्टी के नियमों और कानूनों के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। यही कारण है कि आज हम आपको इस खबर में औलाद का पिता की संपत्ति पर कितना अधिकार है। हम इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय देखते हैं। 

 
Supreme Court : पिता की जायदाद में औलाद हक जताने से पहले जान लें ये बातें, कोर्ट ने किया ऐलान 
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Haryana Update : सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के हिस्से की हकदारी के सिद्धांत पर जोर देते हुए कहा कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे भी पूर्वज की संपत्ति में वैध हिस्सेदारी का अधिकार रखते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे बच्चों को वैध बच्चा माना जाएगा और उन्हें समान (कॉमन) पूर्वज के विस्तारित परिवार के रूप में माना जाएगा।


मद्रास हाईकोर्ट का फैसला जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने पलट दिया। पीठ ने निर्णय दिया कि एक समान (कॉमन) पूर्वज ने शून्य व अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को वैध संतान माना हो तो वे संपत्ति के उसी तरह हकदार होंगे जैसे वैध विवाह से पैदा हुए बच्चे।

Property Rules : प्रॉपर्टी खरीदते वक़्त ना करें ये 5 गलतियाँ, नहीं तो....

मामले के अनुसार, मृत मुथुसामी गौंडर ने तीन विवाह किए थे। जिनमें से दो शादियां अवैध ठहराई गईं। गौंडर इन तीन शादियों से पांच बच्चे है: चार बेटे और एक बेटी। वैध विवाह से जन्मे पुत्र ने ट्रायल कोर्ट में संपत्ति के विभाजन की मांग की। विवाहित बच्चों को भी ट्रायल कोर्ट में प्रतिवादी के रूप में प्रस्तुत किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने वैध विवाह के बच्चे के पक्ष में बंटवारे का निर्णय दिया।

हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी:
अमान्य विवाह से हुए बच्चों ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। उनकी अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, भले ही मुथुसामी गौंडर के साथ अपीलकर्ता नंबर 2 और प्रतिवादी नंबर 2 के विवाह अवैध हों, मुथुसामी गौंडर के बच्चों को मुथुसामी गौंडर के पक्ष में विभाजित की गई काल्पनिक संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार करना कानून और तथ्यात्मक रूप से अस्थिर है।