Supreme Court Rules : इतने साल रहने के बाद किराएदार की हो जाएगी, कोर्ट ने किया बड़ा ऐलान
लंबे समय तक किराया देने के बाद अक्सर किसी किराएदार ने मकान मालिक को घर खाली करने से मना कर दिया है। इससे मकान मालिकों को डर है कि लंबे समय तक किराए पर रहने के बाद किराएदार उनकी संपत्ति पर कब्जा कर सकता है। किराएदार के मकान खाली करने के बारे में समाचार पत्रों में लगातार चर्चा होती है।
यहां तक कि कानून कुछ परिस्थितियों में किराएदारों को यह अधिकार देता है कि वे लंबे समय तक संपत्ति पर रहने के बाद उसे खरीद सकते हैं। ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि कानून क्या कहता है, क्या एक किराएदार वास्तव में संपत्ति का मालिक बन सकता है। या फिर मकानमालिकों को किराएदार से घर खाली करवाने का भी अधिकार है।
कानून क्या कहता है?
वकील चेतन पारीक का कहना है कि "वैसे तो कभी भी किसी भी "किराएदार" का मकान मालिक की संपत्ति पर हक नहीं होता। लेकिन किराए पर रहने वाला व्यक्ति कुछ परिस्थितियों में इस पर अपना मत व्यक्त कर सकता है। लेकिन ट्रांसफर ऑफ प्रोपर्टी एक्ट के अनुसार, एडवर्स पजेशन में ऐसा नहीं होता है और इसमें जिस पर संपत्ति है, उसे बेचने का भी अधिकार है। यानी 12 साल तक संपत्ति पर एडवर्स पजेशन रखने वाले व्यक्ति को संपत्ति पर अधिकार मिलता है।
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उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति ने अपने जानकार को अपनी संपत्ति रहने के लिए दी है और 11 साल से अधिक समय तक वहां रहता है, तो वह संपत्ति पर अधिकार जमा कर सकता है। इसके विपरीत, किराएदारों को समय-समय पर मकान मालिक से रेंट एग्रीमेंट बनवाने में कोई समस्या नहीं होगी। इस स्थिति में कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति रख सकता है।
क्या सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्णय दिया कि लिमिटेशन ऐक्ट 1963 के तहत निजी संपत्ति पर लिमिटेशन (परिसीमन) की वैधानिक अवधि बारह वर्ष है, जबकि सरकारी संपत्ति के मामले में तीस वर्ष है। यह मियाद कब्जे के दिन से शुरू होती है। ध्यान दें कि कानून उस व्यक्ति के साथ है जिसने 12 वर्षों से अधिक समय से संपत्ति पर कब्जा कर रखा है। अगर 12 वर्ष बाद उसे वहां से हटाया गया, तो उसे कानून की शरण में जाने का अधिकार है।