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UP News: यूपी वासियों के लिए बड़ी खबर, रोडवेज बस के किराए में होगी 23 प्रतिशत तक की वृद्धि, जानिए क्या है कारण

UP News: लखनऊ के परिवहन निगम क्षेत्र में किराया बढ़ोतरी का असर दिखने लगा है। लखनऊ रीजन में किराया 23.81% बढ़ा है, लेकिन आय महज 7.65% बढ़ी है। इसके अलावा, आलमबाग और कैसरबाग डिपो की आय पिछले वर्ष की तुलना में 14% गिर गई है।
 
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UP News: लखनऊ के परिवहन निगम क्षेत्र में किराया बढ़ोतरी का असर दिखने लगा है। लखनऊ रीजन में किराया 23.81% बढ़ा है, लेकिन आय महज 7.65% बढ़ी है। इसके अलावा, आलमबाग और कैसरबाग डिपो की आय पिछले वर्ष की तुलना में 14% गिर गई है। किराया बढ़ने से रोडवेज में यात्रियों की संख्या में कमी आई है। आय पर इसका सीधा असर पड़ा है। क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों (कैसरबाग, चारबाग, उपनगर, अवध, आलमबाग) और लखनऊ क्षेत्र के सहायक क्षेत्रीय लेखाकारों को कमाई में वृद्धि करने का आदेश दिया है।

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रोडवेज बसों से आमदनी

अधिकारियों ने बताया कि 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच लखनऊ क्षेत्र में कुल 990 बसें चलीं। इससे 1774.09 लाख रुपये की आय हुई। इसी अवधि में 992 बसों से 1913.79 लाख रुपये पिछले वर्ष प्रत्येक बस की औसत दैनिक आय 11,947 रुपये थी।

12.861 किराये में बढ़ोतरी के बावजूद आय में गिरावट से स्पष्ट है कि यात्रियों ने रोडवेज को छोड़ दिया है। अधिकारियों का दावा है कि 20 नवंबर तक की रिपोर्ट में अंतर को काफी कम करके देखा गया है।

इसके साथ-साथ लक्ष्य से पीछे है

रायबरेली, बाराबंकी, कैसरबाग, अवध और आलमबाग डिपो लक्ष्य से काफी पीछे हैं। कैसरबाग डिपो में प्रति बस कैश जमा करने का दैनिक लक्ष्य 716 रुपये कम हुआ। कैसरबाग डिपो के एआरएम को स्थिति को सुधारने के लिए कहा गया है।

समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार, आलमबाग डिपो में लोड फैक्टर में 14% और कैसरबाग में 11% की कमी आई है। कैसरबाग डिपो में प्रतिदिन 09.41 प्रतिशत की प्रति बस गिरावट पर अधिकारियों ने चिंता व्यक्त की है।

डग्गामार डकैती कर रहे हैं

रोडवेज को इस साल छठ पर उम्मीद से अधिक यात्री नहीं मिले हैं, सूत्रों ने बताया। आधिकारिक विवरण बनाकर कारणों का विश्लेषण किया जाएगा। पूर्वी क्षेत्र के अधिकांश लोग बसों से जाते हैं। किंतु किराया अधिक होने के कारण बहुत से लोग रोडवेज से दूर चले गए।

बताया जाता है कि डग्गामार बसों और अन्य वाहनों की भीड़ इसका मुख्य कारण है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर कई सात सीटर निजी वाहन खुलेआम चल रहे हैं। डग्गामार बसों की संख्या भी बढ़ी है। रोडवेज की तुलना में इनकी लागत कम है और यात्रा में कम समय लगता है।

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