भारत सरकार आखिर क्यों चाइनीज कंपनियों के पीछे लगी है, क्या है ओप्पो, वीवो और शाओमि पर शिकंजे के पीछे की कहानी, जानिए
चीनी कंपनियों और भारत सरकार के बीच लगातार तनातनी देखने को मिल रही है. इस विवाद की शुरुआत सबसे पहले साल 2020 में देखने को मिलती है, जब सरकार 29 जून को पहली बार लगभग 60 चाइनीज मोबाइल एप को बैन किया था. इसी साल सरकार ने 250 से अधिक चाइनीज एप्स पर भारत में पूरी तरह से बैन लगा दिया था. इसके बाद से ही यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाल ही में प्रवर्तक निदेशक (ईडी) ने भी चीनी कंपनियों पर छापामार कार्रवाई की है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार और चाइनीज कंपनियों के विवाद की असल वजह क्या है? आइये इस रिपोर्ट में इस विवाद को विस्तार से जानते हैं.
चाइनीज एप बैन की शुरुआत
साल 2020 में 29 जून को सरकार नें 59 चाइनीज एप पर बैन लगाया था. यह पहली बार था जब इतनी बड़ी संख्या में सरकार द्वारा किसी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाया गया हो. इस लिस्ट में पहला नाम Tiktok का था. इसके अलावा कैमस्कैनर और पबजी (PUBG) जैसे लोकप्रिय एप्स भी इस लिस्ट में शामिल थे. इन एप को डाटा सुरक्षा को लेकर खतरा बताया जा रहा था. भारत सहित अमेरिका की खुफियां एजेंसियों ने इन एप को ब्लॉक करने के लिए सरकार को आगाह किया था. इसके बाद इसी साल 2 सितंबर को भी 47 एप्स पर डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी. इसके बाद साल 2020 में 66 दिन में भीतर ही 224 चाइनीज एप्स पर को भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत बैन किया गया था.
2022 में भी बैन हुए एप
भारत सरकार ने साल 2022 के शुरुआत में ही एक बार फिर से 54 चाइनीज एप्स पर बैन लगा दिया था. बैन हुए 54 एप्स में Free Fire, Tencent, अलीबाबा और गेमिंग फर्म NetEase जैसी बड़ी चाइनीज कंपनियों के एप्स शामिल थे. हालांकि बैन हुए एप में से कई एप, 2020 में बैन हुए एप्स के नए अवतार थे. यदि पिछले 2 साल में हुए एप बैन की बात करें तो अब तक करीब 350 से ज्यादा चाइनीज एप को भारत में बैन किया गया है.
एप के बाद चाइनीज स्मार्टफोन कंपनियों पर नकेल
एप बैन के साथ ही सरकार में चाइनीज स्मार्टफोन कंपनियों (Chinese Smartphone Companies) पर भी नकेल कसनी शुरू कर दी थी. चाइनीज कंपनियों पर सरकार की सबसे बड़ी कार्रवाई इस साल जुलाई में देखने को मिली, जब ईडी (ED) (प्रवर्तन निदेशालय) ने एक साथ वीवो (Vivo) के 44 ठिकानों पर छापेमारी की. वीवो (Vivo) के देशभर में मौजूद ऑफिसों में यह कार्रवाई की गई थी. यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत की गई थी, जिसमें ईडी (ED)ने इस कंपनी पर टैक्स चोरी (Money Laundring)के आरोप लगाए थे. हालांकि वीवो पर सबसे पहले साल 2017 में कार्रवाई की गई थी, जिसमें कंपनी का जयपुर वाला रीजनल ऑफिस सीज कर दिया गया था.
शाओमी (Xiaomi) से हुई थी कार्रवाई की शुरुआत
चीनी कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिग (Money Laundering) से लेकर टैक्स चोरी तक के आरोप लगते रहे हैं. इसके बाद से ही ईडी की नजर चीनी कंपनी पर लगातार बनी हुई थी. जिसके बाद अप्रैल 2022 में ईडी(ED) द्वारा शाओमी (Xiaomi) पर मनी लॉन्ड्रिग मामले में बड़ी कार्रवाई देखने को मिली थी. ईडी ने गोरखधंधे में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत कार्रवाई कर शाओमी इंडिया के बैंक खातों में जमा करीब 5,551 करोड़ रुपये जब्त कर लिए थे. ईडी ने दावा किया था कि कंपनी की ओर से विदेशों में पैसा भेजने को लेकर बैंकों को भी गलत जानकारी मुहैया कराई गई थी और यह कंपनी गलत तरीके से विदेशों में पैसा भेज रही थी, जो फेमा की धारा 4 का सीधा उल्लंघन था.
Oppo पर भी हुई थी कार्रवाई
ओप्पो (Oppo) को भी इसी साल जुलाई में कस्टम ड्यूटी की गड़बड़ी मामले में डीआरई (Directorate of Revenue Intelligence) की कार्रवाई झेलनी पड़ी थी. डीआरआई ने कंपनी के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद ओप्पो पर करीब 4,389 करोड़ रुपये की सीमा शुल्क चोरी का मामला सामने आया था.
सदन में भी उठा मुद्दा
हाल ही में 2 अगस्त को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सदन में कहा था कि सरकार चीन की तीनों मोबाइल कंपनियों पर लगे टैक्स चोरी के आरोपों पर नजर बनाए हुए है. इस तीनों कंपनियों ओप्पो, वीवो इंडिया और शाओमी को सरकार की ओर से नोटिस भी जारी किया गया है. वित्तमंत्री ने इस मामले में करीब 2981 करोड़ रुपये की ड्यूटी चोरी का दावा भी किया है.