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Mutual Fund से क्‍यों मुंह फेर रहे निवेशक, कहां हो रही सबसे ज्‍यादा निकासी?

New Delhi. भारतीय निवेशकों का म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) से मोहभंग हो रहा है और वे पैसे लगाने के बजाए लगातार निकासी कर रहे हैं. एम्‍फी की ताजा रिपोर्ट बताती है कि म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 11 महीने के निचले स्‍तर पर चला गया है.

 
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Haryana Update. आंकड़ों के मुताबिक, जून, 2022 में म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) का कुल AUM 35.64 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अगस्‍त 2021 के 36.59 लाख करोड़ रुपये के बाद सबसे कम है. इससे पहले म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) का निचला स्‍तर जुलाई 2021 में था, जब इसकी कुल संपत्ति 35.31 लाख करोड़ रुपये थी. शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव अनिश्चितता की वजह से निवेशक लगातार अपना पैसा म्‍यूचुअल फंड से निकाल रहे हैं. जून में ही डेट फंडों से 92,248 करोड़ रुपये की निकासी की गई है.

 

 

11 महीने में निकाले 10 लाख करोड़ रुपये

 

निवेशकों ने पिछले 11 महीने में म्‍यूचुअल फंड से ताबड़तोड़ निकासी की है और इस दौरान निकासी बढ़कर 9.95 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई, जो अगस्‍त 2021 में 7.37 लाख करोड़ रुपये थी. डेट फंडों में पैसे लगाने वाले निवेशकों को इस दौरान 2.41 लाख करोड़ (16 फीसदी) का नुकसान उठाना पड़ा, जिससे डेट फंड का एयूएम घटकर 12.34 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया. अगस्‍त 2021 में यह 14.75 लाख करोड़ रुपये था. निवेशकों ने पिछले दो महीने में ही म्‍यूचुअल फंड से 1.25 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए. इसमें से 92 हजार करोड़ तो सिर्फ जून में निकाले गए.

 

डेट फंडों में जहां ताबड़तोड़ निकासी चल रही वहीं इक्विटी म्‍यूचुअल फंड में निवेश आया है. इस साल सिप के जरिये इक्विटी में निवेश 4 फीसदी बढ़कर 12.86 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. आंकड़े बताते हैं कि सिप के जरिये आने वाला 95 फीसदी निवेश इक्विटी में जाता है. इतना ही नहीं बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद इक्विटी सिप 24 फीसदी चढ़कर 12,276 करोड़ रुपये रहा.

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इन कारणों से हुआ नुकसान

म्‍यूचुअल फंड में निकासी के वैसे तो कई कारण हैं लेकिन सेबी के प्रतिबंध और आरबीआई के ब्‍याज दरें बढ़ाने का सबसे ज्‍यादा असर हुआ है. सेबी ने 6 महीने तक किसी भी फंड हाउस को नई फंड योजना लाने से रोक दिया था. यह कदम निवेशकों के हित में ट्रांजेक्‍शन नियमों में बदलाव के लिए उठाया गया था. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अपने रेपो रेट में 0.90 फीसदी की बड़ी वृद्धि कर दी जिसके बाद बैंकों की एफडी सहित अन्‍य जमाओं पर भी ब्‍याज बढ़ने लगा और निवेशकों ने डेट फंडों से अपनी रकम निकाल ली.

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