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FTP 2023: नई पॉलिसी में किए बदलाव,करेंसी क्राइसिस से जूझ रहे देशों के साथ रुपये में ट्रेंड को तैयार भारत

Haryana Update : विदेश व्यापार नीति 2023 लॉन्च करने के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भरोसा जताया कि 2030 भारत 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को हासिल कर लेगा
 
करेंसी क्राइसिस से जूझ रहे देशों के साथ रुपये में ट्रेंड को तैयार भारत

Haryana Update : New Trade Policy (FTP) 2023 नई विदेशी व्यापार नीति में सरकार का पूरा फोकस रुपये में व्यापार को बढ़ावा देना है। इसके लिए नई विदेशी व्यापार नीति में जरूरी नीतिगत बदलाव भी किए गए हैं। 

Foreign Trade Policy सरकार की ओर से शुक्रवार को कहा गया है कि भारत उन सभी देशों के साथ रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने को तैयार है, जो देश करेंसी क्राइसिस या फिर डॉलर की कमी का सामना कर रहे हैं।


बता दें, विदेश व्यापार नीति (Foreign Trade Policy (FTP) 2023) को लॉन्च करने के बाद वाणिज्य सचिव सुनिल बर्थवाल ने कहा कि भारत ऐसे देशों से रुपये में व्यापार करने को तैयार है, जो कि डॉलर की कमी या करेंसी क्राइसिस से गुजर रहे हैं। साथ ही कहा कि सरकार का फोकस रुपये पेमेंट सिस्टम को मजबूत करना है।

रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण पर जोर
साथ ही बताया कि रुपये को अंतरराष्ट्रीय करेंसी बनाने के दृष्टिकोण के लिए नई विदेशी व्यापार नीति में जरूरी बदलाव किए गए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन रुपये में हो सके।


2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात का लक्ष्य
विदेश व्यापार नीति 2023 लॉन्च करने के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भरोसा जताया कि 2030 भारत 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।

आगे कहा कि कोई भी उद्योग केवल सब्सिडी या बैसाखियों के भरोसे सफल नहीं हो सकता। देश में आने वाले समय में व्यापार का विचार बदलेगा।

18 देशों रुपये में व्यापार करने पर सहमत
भारतीय रुपये में व्यापार करने के लिए बड़ी संख्या में देश रुचि दिखा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, अब तक 18 देशों के 60 स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट (SRVA) खोले जा चुके हैं।

इसमें रूस, श्रीलंका, सिंगापुर, बोत्सवाना, फिजी, जर्मनी, गुयाना, इजराइल, केन्या, मलेशिया, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, सेशेल्स, तंजानिया, युगांडा और यूनाइटेड किंगडम का नाम शामिल हैं।

रुपये में व्यापार से होगा फायदा
रुपये में विदेशी व्यापार होने से डॉलर पर भारत की निर्भरता कम होगी। वहीं, अचानक आए वैश्विक उथल पुथल का असर भी अर्थव्यवस्था पर कम होगा। इसके साथ ही भारतीय बैंकों को बड़े अंतरराष्ट्रीय बाजारों में व्यापार करने का मौका प्राप्त होगा।

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