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Rice Export: 15 अक्टूबर तक होगा टूटे चावल का निर्यात! घरेलू बाजार में बढ़ी कीमतें

Rice Export: सरकार ने एक बार फिर निर्यातकों को राहत देते हुए ट्रांजिट में टूटे चावल के निर्यात की समयसीमा बढ़ाकर 30 सितंबर से 15 अक्टूबर कर दी है. इससे पहले समय सीमा 15 सितंबर से 30 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी.
 
Rice Export: 15 अक्टूबर तक होगा टूटे चावल का निर्यात! घरेलू बाजार में बढ़ी कीमतें

Rice Export, Latest News :  सरकार के इस कदम से बंदरगाहों पर अटके टूटे चावल के कार्गो को क्लियर (clear)करने में मदद मिलेगी. बता दे कि सरकार ने 8 सितंबर को टूटे चावल के निर्यात पर बैन (ban) लगा दिया था और चावल की कुछ किस्‍मों के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्‍क लगा दिया था.

 

 

टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और गैर-बासमस्ती व उसना चावल को छोड़कर अन्य के निर्यात की खेप पर शुल्क से स्थानीय आपूर्ति बढ़ती और घरेलू कीमतों में कमी आती. सरकार के इस फैसले के बाद चावल की कीमतें बढ़ सकती हैं.

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इन देशों में होता है निर्यात(Export to these countries)

टूटे हुए चावल मुख्य रूप से चीन, इंडोनेशिया, वियतनाम और जिबूती को निर्यात किए जाते हैं. फसल का उपयोग घरेलू कुक्कुट के लिए किया जाता है. इसके अलावा, इथेनॉल उत्पादन में भी टूटे चावल का उपयोग किया जाता है. केंद्र सरकार(Central government) का मुख्य लक्ष्य 2025-26 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग (सम्मिश्रण) के साथ पेट्रोल की आपूर्ति करना है. भारत ने इस साल जून में निर्धारित समय सीमा से पांच महीने पहले 10 प्रतिशत इथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति करने का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया था.

गौरतलब है कि सरकार ने टूटे चावल पर प्रतिबंध लगाते हुए घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के प्रयासों में गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी लगाया. इसमें उबले हुए चावल को प्रावधान से बाहर रखा गया था.

23 सितंबर को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, चावल में 23.44 लाख हेक्टेयर की कमी देखी गई. आंकड़ों में उल्लेख किया गया है कि पिछले साल के 425 लाख हेक्टेयर की तुलना में चावल के तहत लगभग 401.56 लाख हेक्टेयर भूमि का कवरेज किया गया था.

इन राज्यों में होता है चावल का उत्पादन(Rice is produced in these states)

चावल के उत्पादन में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में मानसून वर्षा की कमी से कुछ प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जो देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. हालांकि, खाद्य मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि फसल के अधिशेष स्टॉक के कारण वृद्धि की घरेलू कीमत नियंत्रण में है.


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