Old Pension Scheme : हरियाणा के इन कर्मचारियों को OPS देने के लिए सहमत हुई सरकार
Haryana Update : वित्त विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए CMO ऑफिस भेज दिया गया है। हरियाणा से बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है. हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) देने की तैयारी कर ली है।
वित्त विभाग ने 21 दिसंबर 2005 से पहले निकली भर्तियों में चयनित कर्मचारियों को फायदा पहुंचाने का प्रस्ताव तैयार किया है। हालांकि इन कर्मचारियों की नियुक्ति विभागों में 2006 के बाद हुई है। वित्त विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए CMO ऑफिस भेज दिया गया है।
CM की मंजूरी के बाद सूबे के लगभग 800 कर्मचारियों का इसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। जानिए क्यों लिया सरकार ने फैसला? हरियाणा सरकार ने ये फैसला केंद्र सरकार की तर्ज पर लिया है।
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केंद्र ने न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के. नोटिफिकेशन जारी होने से पहले निकली भर्तियों में चयनित कर्मचारियों OPS का विकल्प दिया है। इसके बाद हरियाणा सरकार ने भी इस दायरे में आने वाले कर्मचारियों को राहत देते हुए OPS चुनने का विकल्प दिया है। इन कर्मचारियों के पास 31 अगस्त तक विकल्प चुनने का मौका है।
इन कर्मचारियों को दिया फायदा हरियाणा सरकार के OPS को लेकर नए प्रस्ताव में सिर्फ 800 कर्मचारियों को ही लाभ मिलेगा। इस दायरे में वह कर्मचारी आएंगे जिनका चयन 21 दिसंबर 2005 से पहले विज्ञापन की भर्तियों में हुआ है। साथ ही इन्होंने एक जनवरी 2006 के बाद इन पदों पर नियुक्ति पाई है। हरियाणा में लाखों कर्मचारी ऐसे हैं जो इस दायरे में नहीं आएंगे।
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लेकिन जो आएंगे उन्हें पुराणी पेंशन का लाभ दिया जायगा. पुरानी पेंशन योजना पर हरियाणा सरकार का स्टैंड ? हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले का हल निकालने के लिए 3 मेंबरी कमेटी बनाई है। कमेटी अब तक दो मीटिंग कर चुकी है, लेकिन अभी तक उनके द्वारा कोई फैसला नहीं लिया गया है।
इस कमेटी में मुख्य सचिव संजीव कौशल के साथ ही वित्त सचिव और पीएस टू सीएम को शामिल किया गया है। हरियाणा में OPS को राजनीती के हिसाब से आँका जाता है। हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा 'चुनाव में भाजपा को OPS ने सत्ता से बाहर कर दिया।
वहां भी OPS का मुदा काफी जोर पकड़ा था . कांग्रेस ने सत्ता हासिल करते ही ओपीएस लागू कर दिया। इसके साथ ही हरियाणा में कर्मचारियों की संख्या काफी है। यह चुनाव में हमेशा ही निर्णायक साबित होते हैं। जो हर सरकार इसका फायदा उठाना चाहती है लेकिन बीजेपी ने इस मुद्दे को काफी हद तक दरकिनार कर रखा है.
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