Income Tax : अब किसानो का भी लगेगा टैक्स, जानिए नए नियम
सरकार ने कृषि आय पर टैक्स लगाने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। किसान या खेती से होने वाली कमाई टैक्स के दायरे से बाहर है। हालाँकि, कुछ कृषि कार्यों से होने वाली आय को शर्तों और छूटों के साथ टैक्स दायरे में रखा गया है। जबकि, कुछ फसलों की खेती को राज्यवार और केंद्रीय सरकारों ने कमर्शियल कैटेगरी में रखा है और इनसे होने वाली कमाई को टैक्स से छूट मिलती है।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
3 लाख रुपये से अधिक सालाना कमाई करने वाले लोगों को आयकर नियमों के अनुसार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना चाहिए, हालांकि इस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसी तरह, सरकार ने शर्तों के साथ 7 लाख रुपये तक की सालाना कमाई को टैक्स से बचाया है। ऐसे में सरकार ने कृषि आय पर टैक्स लगाने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। किसान या खेती से मिलने वाली आय आयकर नियमों से बाहर है। हालाँकि, कुछ कृषि कार्यों से होने वाली आय को शर्तों और छूटों के साथ टैक्स दायरे में रखा गया है। विपरीत, कुछ फसलों की खेती को राज्यवार और केंद्रीय सरकारों ने कमर्शियल खेती की श्रेणी में रखा है और इनसे होने वाली कमाई को छूट और शर्तों के साथ टैक्स दायरे में रखा है। आइए जानें कि खेती की कमाई टैक्स नियमों के तहत आती है।
इस तरह की खेती टैक्स के अधीन है।
आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, 5,000 रुपये से अधिक कृषि आय को आईटीआर में दर्ज करना अनिवार्य है। आयकर अधिनियम की धारा 2 (1A) के अनुसार कृषि योग्य भूमि पर कुछ कृषि गतिविधियों से संबंधित कार्यों से होने वाली कमाई को छूट के साथ टैक्स के दायरे में रखा गया है।
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चाय की खेती से कमाई टैक्स के अधीन है।
रबर की खेती या कॉफी की खेती भी टैक्स के दायरे में आती है।
भेड़ पालन से कमाई टैक्स के अधीन है।
डेयरी व्यवसाय से मिलने वाली आय टैक्स के दायरे में आती है।
पेड़ों की बिक्री से मिलने वाली आय भी टैक्स के अधीन है।
पशु व्यापार भी टैक्स के अधीन है।
टैक्स भी जमीन या इमारत से किराये पर मिलने वाली कमाई पर लागू होता है।
हालाँकि, इस तरह की आय पर कुछ छूट और शर्तों के साथ टैक्स लगाया गया है।
टैक्स किस तरह लागू होता है?
यदि कोई किसान चाय की खेती करता है, तो उसे 40 प्रतिशत की कुल कमाई पर टैक्स लगेगा, जबकि 60 प्रतिशत की कमाई पर टैक्स छूट मिलेगी। चाय, रबर और कॉफी की फसलों की खेती कमर्शियल खेती की श्रेणी में आती है और इनसे होने वाली आय पर केंद्र सरकार छूट के साथ टैक्स लगाती है। कमर्शियल फसलों की सूची हर राज्य में अलग हो सकती है, और टैक्स दर भी अलग हो सकती है।