ISRO Chairman: आज सामने आया एक बड़ा सवाल! आखिर कितनी है ISRO प्रमुख की सैलरी? और क्या ये काफी है?
Harsh Goenka on ISRO Chairman:आपकी जानकारी के लिए बता दे आज के एक जाने-माने उद्योगपति जिनका नाम हर्ष गोयनका है, उनके द्वारा के ट्वीट हुआ है और इस एक ट्वीट में काफी बवाल मचा दिया है। हम आपको बता दे कि उन्होने इसरो के प्रमुख पी. सोमनाथ के बार में पुछा है कि क्या उनके इस बेहतरीन काम के लिए उन्हे मिल रही सैलरी क्या काफी है?
Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय मार्केट के जाने-माने शख्स हर्ष गोयनका ने आज ISRO के चेयरमैन के बार में ट्वीट किया था और इसने तो इंटरनेट पर एक नई ही बहस छेड़ दी है। हम आपको बता दे इस ट्वीट के जरीए उन्होने पूछा है कि क्या इसरो के चेयरमैन जो कि श्रीधर पैनिकर सोमनाथ (Sreedhara Panicker Somanath) है उनकी सैलरी उनके काम के हिसाब से सही है? आखिर क्या ये है जायज? हम आपको बता दे कि इस ट्वीट के जरीए उन्होंने बताया है कि अभी उनकी सैलरी केवल 2.5 लाख प्रति महीना है।
लेकिन हम आपको बता दे कि इसके जरीए वे कहना चाहते है कि आज के समय में कुछ ऐसे लोग भी है जो पैसे के लिए काम नहीं करते और जो मिलता है इसी से मोटिवेट रखते हैं, और हर किसी को इसको समझना चाहिए। इसी के साथ ये भी बताया गया है कि वे केवल अपने विज्ञान और रिस्रच के प्रति अपने जुनून और समर्पण के लिए इतना काम करते हैं।
इतना ही नही वे अपने देश के लिए अपने योगदान के साथ-साथ राष्ट्रीय गौरव के लिए दिन-रात काम करते है। इसी के बाद हर्ष गोयनका ने ये बताया है कि वे ऐसे लोगों के लिए अपना सिर झुकाते है। वही इसका सिधा सा मतलब ये बनता है कि चेयरमैन हर्ष गोयनका साफ-साफ इसरो के चेयरमैन श्रीधर सोमनाथ को सम्मान दे रहे है, लेकिन इतना सब होने के बाद सवाल ये सामने आता है कि क्या इसरो के चेयरमैन के लिए क्या ढाई लाख रुपये प्रति माह की सैलरी काफी हैं?
जाने ISRO Chairman को क्या कुछ मलता है
उनके ट्वीट के जवाब में कई लोग उनके समर्थन में आ गए हैं तो कुछेक ने कहा है कि जो सरकारी अधिकारियों को मिलता है, प्राइवेट सेक्टर वह सुविधाएं कभी नहीं दे सकता। हर्ष गोयनका के इस सवाल के उत्तर में एक X (पहले ट्विटर) यूजर डॉ। नीलिमा श्रीवास्तव लिखती हैं कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं की बराबरी प्राइवेट सेक्टर कभी नहीं कर सकता।
वे (सोमनाथ) और उनकी पत्नी सबसे अच्छे अस्पताल में 16 लाख रुपये तक का फ्री इलाज करवा सकते हैं। उन्हें सरकारी बंगला मिलता है और रिटायरमेंट के बाद उनकी आखिरी सैलरी के बराबर पेंशन भी मिलती रहती है। सरकारी कर्मचारी की पत्नी यदि अकेली रह जाती है तो उसे भी सैलरी का 50 फीसदी पैसा पेंशन में मिलता है और साथ ही सारे हेल्थ बेनिफिट्स भी। एक अन्य यूजर टैक्सोलॉजी इंडिया ने भी नीलिमा के सुर में सुर मिलाते हुए यही बात दोहराई है।
अगर ISRO Chairman किसी प्राइवेट सेक्टर में होते?
एक अन्य यूजर ने कहा कि सर, यदि वे प्राइवेट सेक्टर में होते तो कितना मिलता? मैं यकीन से कह सकता हूं कि कम से कम कुछ करोड़ रुपये तो सालाना मिलते ही। अनुशरन लामा ने पूछा कि आप ही बता दीजिए उन्हें कितना पैसा मिले। एक यूजर आदित्य ने कहा कि इसरो के चेयरमैन को 25 लाख रुपये महीना मिलना चाहिए या फिर उससे भी ज्यादा।
कुमार विक्रम नाम के यूजर ने लिखा कि पब्लिक फंड से चलने वाले संस्थान इसी तरह काम करते हैं, क्योंकि वे जनता के पैसे का उपयोग करते हैं। कॉर्पोरेट कल्चर में, वेतन में बहुत अधिक असमानता है और कॉर्पोरेट्स को पहले उस समस्या को ठीक करना चाहिए।