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खेती की जमीन पर घर बनाने से पहले ये नियम जानें, वरना होगा तगड़ा नुकसान

Convert Agricultural Land to Residential Land: आपके पास खेती के लिए बहुत सारे एकड़ जमीन है, लेकिन इसका मतलब नहीं कि आप इस पर घर भी बना लेंगे। अगर घर बना भी लिया गया है, तो उसे तोड़ना पड़ेगा। ऐसा जमीन के नियम से हो सकता है।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

 
खेती की जमीन पर घर बनाने से पहले ये नियम जानें, वरना होगा तगड़ा नुकसान
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Haryana Update: ऐसा होता है कि मकान बनाने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं होने पर लोग खेत में घर बनाते हैं। यदि आप भी ऐसी कोई योजना बना रहे हैं, तो जरा रुककर इस खबर को पढ़ लीजिए। ऐसा न हो कि घर बनाने के बाद उसे गिरा देना पड़े। दरअसल, कृषि जमीन से जुड़ा एक नियम है जो आपको बिना आवश्यक प्रक्रियाओं के कृषि जमीन पर घर बनाने की अनुमति नहीं देता है। इसके अलावा, कुछ लोग कृषि क्षेत्र में प् लॉट बनाकर बेच देते हैं। ऐसी जमीन खरीदने पर आपका पैसा भी खर्च हो सकता है। लिहाजा, दोनों परिस्थितियों में पैसे गंवाने से पहले इससे संबंधित नियम को जानना बेहतर होगा।

वास्तव में, खेती की जमीन पर उसका मालिक बिना परमिशन के घर भी नहीं बना सकता। ऐसे में घर बनवाने के बाद उसे गिराना नहीं पड़े, इसलिए आपको इससे जुड़े नियमों को जानना चाहिए।


किस प्रकार की जमीन खेती के लिए उपयुक्त है?
खेती योग्य भूमि में किसी भी फसल की खेती की जा सकती है। स्थायी चारागाहों, फसलों और कृषि कार्यों के लिए उपयोग की जाने वाली जमीन को कृषि भूमि क्षेत्र के हिस्से माना जाता है। इनमें हर साल किसानों द्वारा फसल का उत्पादन किया जाता है। आप इस जमीन पर मालिक होने के बावजूद इसमें घर नहीं बना सकते। इसके लिए सरकार की अनुमति चाहिए।

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खेती की जगह पर घर बनाने के लिए क्या करना चाहिए?
आपको खेती की जमीन पर घर बनाने से पहले उसे कन्वर्जन करना होगा। तब आप खेती की जमीन पर घर बना सकते हैं। लेकिन देश के कुछ ही राज्यों में कनवर्जन नियम हैं। याद रखें कि खेती की जमीन को आवास की जमीन में बदलने पर आपको कुछ शुल्क भी देना होगा। इसके अलावा, आपको ग्राम पंचायत या म्यूनिसिपल काउंसिल से NOC लेना होगा।


जमीन का कनवर्जन कैसे होता है?
आवास योग्य भूमि में बदलने के लिए खेती योग्य भूमि को कनवर्जन करना होगा, जिसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों की जरूरत होती है। भूमि मालिक का पहचान पत्र आवश्यक है। इसके साथ ही मालिकाना हक, किरायदारी और फसलों का रिकार्ड भी आवश्यक है। वहीं आपसे जमीन उपयोग योजना, सर्वे मैप और जमीन प्राप्ति रसीद भी मांगी जाती है। इसके अलावा, उस जमीन पर कोई मुकदमा या बकाया राशि नहीं होना चाहिए।