RBI Government: RBI का बड़ा ऐलान, लोन नहीं चुकाने वालों को अब हर महीने नहीं होगी टेंशन, जानिए पूरी खबर
RBI News: आपको बता दें, की इस संबंध में बैंकों से सही नीतिगत व्यवस्था बनाने को कहा है। आरबीआई ने कहा कि बैंकों को EMI या कर्ज की अवधि पर नीतिगत ब्याज दर में बदलाव का प्रभाव बताना चाहिए। ग्राहक को EMI या कर्ज की अवधि बढ़ने की सूचना तुरंत दी जानी चाहिए, जानिए पूरी डिटेल।
Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की हर महीने किस्त भर रहे हैं, तो RBI ने कर्जधारकों के लिए कई नई बातें और नियमों को लागू किया है, जो आपके लिए लोन भरना थोड़ा आसान बना सकता है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों को लोन देने और ब्याज दरें बढ़ाने की प्रथा पर चिंता व्यक्त की और पीनल इंटरेस्ट पर भी बदलाव हुए हैं।
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ब्याज दरें बढ़ाने पर बैंकों को सूचित किया जाना चाहिए
पिछले हफ्ते, आरबीआई ने बैंकों और लोन देने वाली दूसरी संस्थाओं से कहा कि वे ग्राहकों को जो पहले से लोन ले चुके हैं, फिक्स्ड रेट चुनने का विकल्प देंगे जब वे अपने लोन प्रॉडक्ट्स पर नए सिरे से ब्याज दरों को लागू कर रहे हैं। आरबीआई ने ग्राहकों को सही तरीके से नहीं बताया या उनकी सहमति नहीं ली कि बैंक ब्याज दर बढ़ाने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (EMI) बढ़ा देते हैं।
बैंक क्या करेंगे
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस संबंध में बैंकों से सही नीतिगत व्यवस्था बनाने को कहा है। आरबीआई ने कहा कि बैंकों को EMI या कर्ज की अवधि पर नीतिगत ब्याज दर में बदलाव का प्रभाव बताना चाहिए। ग्राहक को EMI या कर्ज की अवधि बढ़ने की सूचना तुरंत दी जानी चाहिए। साथ ही बैंकों को नई ब्याज दरों का निर्धारण करते समय फिक्स्ड दर का विकल्प भी मिलना चाहिए।
ग्राहकों के हित में रिज़र्व बैंक द्वारा दिये गये निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि बैंकों को ग्राहकों को फिक्स्ड रेट चुनने का विकल्प कितनी बार मिलेगा। साथ ही, कर्ज लेने वाले ग्राहकों को EMI बढ़ाने या लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प भी मिलना चाहिए। ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज चुकाने की भी अनुमति मिलेगी। कर्ज के अवधि के दौरान उन्हें यह सुविधा मिलनी चाहिए।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में कहा कि बैंकों को लोन लेने वालों को फ्लोटिंग रेट से फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट चुनने की अनुमति देने की तैयारी हो रही है. बैंकों को लोन की अवधि और मासिक EMI के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी।
पेनाल्टी ब्याज में सुधार
आरबीआई ने बैंकों से पीनल इंटरेस्ट के बारे में भी निर्देश दिए हैं। यदि ग्राहक लोन चुकाने में असमर्थ रहता है, तो बैंक उचित पेनाल्टी फीस ही वसूलेगा, न कि दंडात्मक ब्याज या पीनल इंटरेस्ट। आरबीआई ने 1 जनवरी, 2024 से बैंकों और NBFCs को पीनल इंटरेस्ट नहीं लेने की अनुमति दी है, जिसे उचित ऋण व्यवहार-कर्ज खातों पर दंडात्मक शुल्क कहा गया हैं।
RBI ने बताया हैं, की अगर ग्राहक लोन की शर्तों के तहत लोन नहीं चुकाता है, तो पेनाल्टी लगाई जा सकती है, लेकिन पीनल इंटरेस्ट के तौर पर नहीं लिया जाएगा क्योंकि बैंक पीनल इंटरेस्ट को एडवांस में वसूली जाने वाली ब्याज दरों में जोड़ देते हैं। आरबीआई ने कहा कि बैंक पेनाल्टी फीस को अलग-अलग नहीं रखा जाएगा किसी अलग लोन या उत्पाद के आधार पर। पेनाल्टी फीस को बैंक कैपिटलाइज नहीं करेगा, न ही अतिरिक्त इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाएगा।
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