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RBI Governor का बड़ा ऐलान, रिजर्व बैंक ने नहीं किया रेपों रेट मे कोई बदलाव, Loan EMI नहीं होगी अभी सस्ती!

RBI Governor Announcement: RBI ने फिर से रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया है। 8 दिसंबर को RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा की। Repo Rate को फिर से केंद्रीय बैंक ने यथावत रखा है। आरबीआई के निर्णय के बाद ब्याज दर एक बार फिर से 6.5 प्रतिशत पर बनी हुई है। लोगों ने सोचा कि रिजर्व बैंक इस बार रेपो रेट में कमी करके लोन को सस्ता बना देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सस्ते लोन मिलने तक इंतजार करना होगा।

 
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RBI MPC Meeting: एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों ने ब्याज दरों (Repo Rate) में बदलाव न करने के निर्णय का समर्थन किया। स्थायी जमा सुविधा और सीमांत स्थायी सुविधा दरों को भी स्थिर रखा गया, साथ ही रेपो रेट भी। मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी को 6.25% और स्टैडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी को 6.75% पर रखा गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि नवंबर में PMI बढ़ा है और GST Collection में भी सुधार हुआ है।

ये लगातार पांच बार है कि केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। फरवरी में इसी वर्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था। अप्रैल से अक्टूबर के बीच, आरबीआई ने इसके बाद ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने मॉनेटरी पॉलिसी जारी करते हुए कहा कि रेपो दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आरबीआई ने महंगाई दर में नरमी को देखते हुए दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर जीडीरी के आंकड़े देखते हुए रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया। साथ ही, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वे महंगाई पर ध्यान दे रहे हैं। ब्याज दरों में आने वाले दिनों में बदलाव हो सकता है।

रेपो दर क्या है?

पब्लिक और कमर्शियल बैंक आपकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं, ठीक उसी तरह। बैंकों को भी ब्याज चुकाना होगा, जैसे आप कर्ज पर ब्याज चुकाते हैं। यानी भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों को लोन देने वाली ब्याज दर को रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंकों को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों को सस्ता लोन मिलेगा तो उन्हें अपने ग्राहकों को भी सस्ता लोन देंगे। यानी रेपो रेट कम होने से आम लोग लाभ उठाते हैं। आम आदमी की मुश्किलें भी बढ़ती हैं जब रेपो रेट बढ़ता है।

महंगाई के खिलाफ एक हथियार

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई के पास रेपो रेट है। आरबीआई ब्याज दर को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में पैसे की बहाव को कम करने की कोशिश करता है जब महंगाई बढ़ती है। बैंकों से लोगों को मिलने वाला लोन और रेपो रेट बढ़ने से दोनों महंगा हो जाता है। महंगे लोन इकोनॉमी में धन का प्रवाह कम करते हैं। मनी फ्लो कम होने से महंगाई घटती है और डिमांड कम होती है।

रेपो रेट से EMI का संबंध
रेपो रेट एक बेंचमार्क है। आपके होम लोन और EMI भी रेपो रेट से जुड़े हुए हैं कमर्शियल बैंकों की ब्याज दरें रेपो रेट के साथ बढ़ती हैं। रेपो रेट में वृद्धि से होम लोन की EMI बढ़ जाती है।

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