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RBI Governor ने लिया एक बड़ा फैसला! 500 से उपर के किसी नोट की कोई जरूरत नहीं

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 19 मई, 2023 को एक चौंकाने वाला फैसला लिया....
 
RBI Governor ने लिया एक बड़ा फैसला! 500 से उपर के किसी नोट की कोई जरूरत नहीं 

RBI Governor Statement: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 19 मई, 2023 को एक चौंकाने वाला फैसला लिया. केंद्रीय बैंक ने 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा कर दी है. वहीं, आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी (R Gandhi) का मानना है कि देश में 500 रुपये से बड़े नोटों की कोई जरूरत नहीं है.

मनीकंट्रोल से बात करते हुए शनिवार को गांधी ने कहा, “जिस तरह से डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ रहा है, मुझे नहीं लगता कि उच्च मूल्यवर्ग के किसी भी करेंसी नोट की जरूरत है. डिजिटल पेमेंट सिस्टम के बढ़ने और लोअर इन्फ्लेशन का मतलब है कि उच्च मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों की अब और जरूरत नहीं है.”

डिमोनेटाइजेशन के सिद्धांतों के खिलाफ थी ₹2000 के नोट की शुरुआत
गांधी ने साल 2014 से 2017 तक आरबीआई में डिप्टी गवर्नर के रूप में करेंसी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी संभाली है. उन्होंने स्वीकार किया कि 2000 रुपये के नोट की शुरुआत डिमोनेटाइजेशन के सिद्धांतों के खिलाफ थी.

सवाल- क्या हमें उच्च मूल्य के करेंसी नोटों की आवश्यकता है? क्या 500 रुपये का नोट उच्चतम मूल्य वाला बैंक नोट हो सकता है?
आर गांधी- जिस तरह से डिजिटल लेन-देन बढ़ रहा है, मुझे नहीं लगता कि किसी बड़े मूल्यवर्ग के नोट की जरूरत है. पहले नकद लेन-देन का बोलबाला था. तब, एक थंब-रूल था कि मुद्रास्फीति के आधार पर हमें लेन-देन की सुविधा के लिए करेंसी नोटों के उच्च मूल्यवर्ग को पेश करना पड़ सकता है.

वह बाध्यता अब 2 कारणों से लागू नहीं होती. पहला डिजिटल पेमेंट की सर्वव्यापकता के कारण और दूसरा कारण डबल डिजिट की मुद्रास्फीति के दिनों के विपरीत मुद्रास्फीति अब नियंत्रण में है. अब इस तरह की कोई जरूरत नहीं है.

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सवाल- एक बार में 2,000 रुपये के नोट बदलने की सीमा 20,000 रुपये क्यों है?
आर गांधी- यह नोटों की जांच करने के लिए बैंक ब्रांच की क्षमता से संबंधित हो सकता है. क्योंकि ये उच्च मूल्य के नोट हैं, इन्हें स्वीकार करने से पहले इनकी जांच की जानी है.

अगर किसी व्यक्ति द्वारा इन नोटों की एक बड़ी संख्या प्रस्तुत की जाती है, तो उनकी जांच करने में लगने वाला समय अन्य ग्राहकों की सेवा को प्रभावित करेगा. इसके अलावा, अगर बैंक ऐसे नोट स्वीकार करते हैं जो असली नहीं हैं, तो यह बैंक की जिम्मेदारी होगी.

.सवाल- नोटबंदी के दौरान आप आरबीआई में थे. क्या आपने उस समय सोचा था कि 2,000 रुपये का नोट इतनी जल्दी वापस ले लिया जाएगा?
आर गांधी- हां, उस समय एक स्पष्ट समझ थी. 2,000 रुपये के नोट की शुरूआत डिमोनेटाइजेशन के सिद्धांतों के खिलाफ थी. लेकिन यह त्वरित री-मोनेटाइजेशन के लिए किया जाना था क्योंकि 500 ​​रुपये के नोटों की पर्याप्त संख्या को प्रिंट करने में बहुत अधिक समय लगता.

इसलिए इसे एक शॉर्ट टर्म टैक्टिकल डिसीजन के रूप में लिया गया था. 2,000 रुपये के नोटों की पहली खेप छपने के बाद, आरबीआई ने और नहीं छापी. साफ था कि आगे चलकर इन नोटों की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके अलावा, आरबीआई इन नोटों को बैंकिंग सिस्टम में आने के बाद वापस ले रहा है.

उन्हें दोबारा जारी नहीं किया गया. यही वजह है कि इनमें से करीब आधे नोट पहले ही वापस ले लिए गए हैं. इसलिए, यह आश्चर्य की बात नहीं है कि शेष नोटों को वापस लेने का फैसला लिया गया है.

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