RBI गर्वनर ने बैंको और NBFC को दी चेतावनी, लोन देने में ना करें उत्साह
Reserve Bank Governor Announcement: आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं को क्रेडिट ग्रोथ को लेकर अत्यधिक उत्साह से बचना चाहिए। उनका कहना था कि अनसिक्योर्ड लोन के नियमों को कठोर करना बैंकिंग प्रणाली के हित में है।
बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस वित्तीय कंपनियों (NBFC) को क्रेडिट ग्रोथ को लेकर लापरवाही से बचना चाहिए। ओवरऑल क्रेडिट सेगमेंट में क्रेडिट ग्रोथ को सस्टेनेबल बनाए रखना चाहिए।
दास ने कहा कि अनसिक्योर्ड लोन से जुड़े नियमों को कड़ा करना बैंक सिस्टम को सुचारू बनाए रखने के लिए सोच-समझकर लिया गया एहतियाती कदम है, जिसमें कर्ज के मानदंडों का सही तरह से पालन किया जाता है और फाइनैंशल संस्थानों को सतर्क किया जाता है।
NBFC को ऋणों पर अधिक ध्यान देने की सलाह
RBI गवर्नर ने FICCI और IBA की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित सालाना FIBAC कार्यक्रम में बैंकों और NBFC को उनकी देनदारियों पर अधिक ध्यान देने की सलाह दी। रिजर्व बैंक ने कमर्शल बैंकों और NBFCs के कंज्यूमर क्रेडिट एक्सपोजर का रिस्क वेटेज 25 बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया था, क्योंकि अनसिक्योर्ड लेंडिंग सेगमेंट में क्रेडिट रिस्क बढ़ गया था।
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अनसिक्योर्ड लेंडिंग पर रिस्क वेटेज बढ़ा
गर्वनर शक्तिकांतदास ने कहा कि रिस्क वेटेज सिर्फ अनसिक्योर्ड लेंडिंग में बढ़ाया गया है। छोटे कारोबारियों को वीइकल खरीद और दूसरे लोन से अलग रखा। इसलिए ये विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
इनमें अभी भार नहीं है, लेकिन सस्टेनेबल होना चाहिए। हमने हाल ही में व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने को ध्यान में रखकर सोच-विचारकर कुछ उपायों की भी घोषणा की है,' उन्होंने कहा। ये उपाय एहतियाती हैं और बहुत विचारपूर्वक बनाए गए हैं।"
हेडलाइन इंफ्लेशन में थोड़ा कम
उनका कहना था कि कुछ NBFC-RMFI हाई इंटरेस्ट मार्जिन रिपोर्ट कर रहे हैं, इसलिए RBI ने उन्हें विवेकपूर्ण तरीके से रेट्स निर्धारित करने में मुक्त प्रक्रिया अपनाने को कहा है।
गवर्नर ने महंगाई को लेकर कहा कि हालांकि हेडलाइन इंफ्लेशन में कुछ कमी आई है, लेकिन रिज़र्व बैंक पूरी तरह से कीमतों की बढ़ोतरी पर ध्यान दे रहा है। दास ने रुपये की वोलेटिलिटी और इसके न्यू लो पर पहुंचने की चर्चा करते हुए कहा कि अमेरिका में बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से भारतीय रुपया में उतार-चढ़ाव कम रहा है और व्यवस्थित उतार-चढ़ाव दिखाई देता है।