Share Market : सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लाखों निवेशकों को मुसीबत में डाल दिया, जानिए रिपोर्ट
Haryana Update, Share Market : मंगलवार सुबह से ही शेयर बाजार में निवेश करने वालों का ध्यान सुप्रीम कोर्ट पर था। निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये दांव पर थे और देश की सबसे बड़ी अदालत से भी बड़ा फैसला आना था। निवेशकों को सुबह से ही कुछ अच्छा होने की उम्मीद थी, और आखिरकार फैसला भी उनके पक्ष में आया। यह बात कि फैसले के महज घंटे भर में ही निवेशकों ने 11 प्रतिशत से अधिक रिटर्न प्राप्त किया, निवेशकों की खुशी और उम्मीदों का अंदाजा लगा सकती है।
वास्तव में, हम बात कर रहे हैं हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) के मामले की सुनवाई पर। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के पक्ष में निर्णय दिया, जिससे शेयर बाजार उछल पड़ा। घंटे भर के भीतर ही अडानी समूह के शेयरों में 11% का भारी उछाल देखा गया। अडानी पोर्ट एंड सेज में 2% और अडानी इंटरप्राइजेज में 5% की वृद्धि हुई। दोनों ही स्टॉक सुबह तक निफ्टी में सर्वोच्च स्थान पर बने रहे। इसके अलावा, अडानी विल्मर, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पॉवर, अडानी टोटल गैस और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयरों में तीन से ग्यारह प्रतिशत की बड़ी वृद्धि हुई है। Ambuja Cements, NDTV और ACC के स्टॉक में भी 6 फीसदी तक उछाल दिखा है।
गिरकर उठे वाले अडानी शेयर
2023 की शुरुआत में अडानी समूह के खिलाफ आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद, समूह की कंपनियों को भारी नुकसान हुआ। हालाँकि, इसके शेयरों ने गिरावट से अब तक 80 प्रतिशत की रिकवरी की है। Adiani Ports जैसे शेयरों ने तो नुकसान को पूरा कर लिया है। दूसरी कंपनियों ने भी अपना घाटा काफी कम किया है।
काफी पीछे पीक से
वैसे तो अडानी समूह की कंपनियों में लगातार तेजी दिख रही है, लेकिन कंपनी का मार्केट कैप आज भी अपने पीक से बहुत पीछे है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह का मार्केट कैप लगभग 5.8 लाख करोड़ रुपये गिर गया था। उस समय, कंपनी की बाजार पूंजी लगभग 23 लाख करोड़ रुपये थी। हालाँकि, कंपनी का मार्केट कैप आज 15 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, यह अब भी पीक से बहुत पीछे है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्णय दिया
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह ने अपने शेयरों का मूल्य बढ़ाने के बाजार नियमों को तोड़ा है और शेयरों का मूल्य गलत तरीके से बढ़ा दिया है। 2 मार्च, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से जांच करने को कहा। बाद में जांच को एसआईटी या सीबीआई को सौंपने की मांग की गई। 3 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इसी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जांच को किसी और को सौंपने की जरूरत नहीं है और सेबी को 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का आदेश दिया।
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