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Share Market: सितंबर की शुरुआत में क्या रहेगा बाजार का हाल, किन का हो सकता है असर

Share Market: स्थानीय शेयर बाजार में पिछले पांच हफ्तों की गिरावट का सिलसिला बीते सप्ताह समाप्त हो गया। शुक्रवार को बाजार ने व्यापक वृद्धि दर्ज की। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स पिछले सप्ताह 500.65 अंक या 0.77 प्रतिशत की बढ़त रहा, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 169.5 अंक या 0.87 प्रतिशत की बढ़त रहा।
 
 
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Share Market: इन दिनों शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। निवेशकों को आने वाले हफ्ते में शेयर बाजार की चाल पर भी नजर रहती है। इस सप्ताह शेयर बाजारों का रुख आर्थिक आंकड़े, वैश्विक रुझान और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों से प्रभावित होगा। विश्लेषकों ने यह विचार व्यक्त किया है।

स्थानीय शेयर बाजार में पिछले पांच हफ्तों की गिरावट का सिलसिला बीते सप्ताह समाप्त हो गया। शुक्रवार को बाजार ने व्यापक वृद्धि दर्ज की। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स पिछले सप्ताह 500.65 अंक या 0.77 प्रतिशत की बढ़त रहा, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 169.5 अंक या 0.87 प्रतिशत की बढ़त रहा।

स्थानीय शेयर बाजार में पिछले पांच हफ्तों की गिरावट का सिलसिला बीते सप्ताह समाप्त हो गया। शुक्रवार को बाजार ने व्यापक वृद्धि दर्ज की। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स पिछले सप्ताह 500.65 अंक या 0.77 प्रतिशत की बढ़त रहा, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 169.5 अंक या 0.87 प्रतिशत की बढ़त रहा।

मास्टर कैपिटल सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविंदर सिंह नंदा ने कहा, ‘‘वृहद मोर्चे पर कुछ प्रमुख कारक जो आने वाले दिनों में बाजार को दिशा देंगे, वे हैं- एसएंडपी वैश्विक सेवा PMI, यूरो क्षेत्र का एसएंडपी ग्लोबल कम्पोजिट PMI, ब्रिटेन का सेवा PMI, यूरो क्षेत्र के दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े, अमेरिका के कारखाना ऑर्डर के आंकड़े और‘’

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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि घरेलू बाजार वैश्विक रुख से दिशा लेगा अगर कोई प्रमुख संकेत नहीं होगा। इनमें US Payroll और PMI आंकड़े शामिल हैं। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर और कच्चे तेल की कीमत भी बाजार की दिशा तय करेगी।

कोटक सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘पिछले महीने सुस्त से नकारात्मक धारणा के बाद विदेशी निवेशक एक बार फिर भारतीय बाजारों की ओर नई उम्मीद से देख रहे हैं। इसकी वजह यह है कि भारत ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों से बचकर अधिकांश आर्थिक मोर्चों पर सुधार किया है।‘’