VPF: अब बुढापे में पैसे की चिंता होगी दूर, जितना जल्दी हो सकें इस स्कीम में करें निवेश
VPF: नौकरी के शुरुआती सालों में लोग रिटायरमेंट प्लानिंग पर अधिक विचार नहीं करते। सोचते हैं कि अगले कुछ सालों में शुरू करेंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि जितनी जल्दी आप निवेश शुरू करते हैं, उतना अधिक पैसा आपको बुढ़ापे में जमा होता है, जिससे आपको भविष्य की चिंता नहीं होती। और ऐसा नहीं है कि आपको इसके लिए अलग से कोई योजना बनानी होगी। बहुत से निवेश के विकल्प हैं जो आपको अभी अच्छे रिटर्न दे रहे हैं और टैक्स छूट भी दे रहे हैं। निवेश वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF), ELSS या पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में हो सकता है, जो आपको अच्छी आय दे सकते हैं। आज हम आपको इन तीन योजनाओं का पूरा विवरण देंगे।
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वित्तीय प्रोविडेंट फंड (VPF)
EPF में सिर्फ 12 प्रतिशत ही बेसिक सैलरी को कॉन्ट्रीब्यूट किया जा सकता है। लेकिन VPF (Voluntary Provident Fund) में कितना निवेश कर सकते हैं? VPF एक विकल्प है अगर कर्मचारी अपनी इन-हैंड सैलरी को कम करके भविष्य निधि में योगदान बढ़ाता है। VPF में भी EPF की तरह 8.1 प्रतिशत ब्याज मिलता है। ये EPF का विस्तार है। सिर्फ नौकरी कर सकते हैं। इसमें बेसिक सैलरी और DA का पूरा पैसा लगाया जा सकता है।
VPF के लिए क्या करना चाहिए?
आपको अपनी कंपनी की फाइनेंस टीम या कर्मचारियों से संपर्क करना होगा। VPF में कॉन्ट्रीब्यूशन मांगना होगा। यह आपके EPF अकाउंट से VPF को जोड़ देगा। VPF का अलग से कोई खाता नहीं खुलता। VPF का योगदान हर साल बदल सकता है। VPF में निवेश करने के लिए एम्प्लॉयर बाध्य नहीं है। कर्मचारी अपने योगदान को ही बढ़ा सकते हैं।
VPF की ये जानकारी पढ़ें
यदि आप अपनी नौकरी बदलते हैं, तो इस अकाउंट को आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं। इसमें लोन भी शामिल है। इससे लोन भी लिया जा सकता है, जैसे कि बच्चों की शादी, बच्चों के एजुकेशन, होम लोन। VPF खाते से आंशिक रकम निकालने के लिए खाताधारक का 5 साल का काम करना आवश्यक है। ५ वर्ष से कम होने पर टैक्स कटता है। VPF का पूरा पैसा केवल रिटायरमेंट पर निकाला जा सकता है। आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत VPF पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है। निवेश, ब्याज और मैच्योरिटी (EEE) में मिलने वाले पैसे पर कोई टैक्स नहीं लगता। ये रिटायरमेंट योजना के लिए बहुत अच्छे हैं।
ELSS—ईक्विटी लिंक्ड सेंविग्स स्कीम में देश में 42 म्यूचुअल फंड कंपनियां टैक्स बचाने की योजनाएं चलाती हैं। हर कंपनी का ELSS इनकम टैक्स बचाने के लिए है। यह किसी एजेंट से या ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। टैक्स बचाने के लिए एक बार में कम से कम 5 हजार रुपए का निवेश करना आवश्यक है, और हर महीने कम से कम 500 रुपए का निवेश करना आवश्यक है। इसमें अधिकतम 1.5 लाख रुपए की टैक्स छूट मिल सकती है, लेकिन इसमें अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।
बिक्री नहीं होती, लेकिन तीन साल तक मार्केट लिंक्ड रिटर्न स्कीम में लॉक-इन रहती है। निवेशक चाहे तो बाद में पैसे निकाल सकता है। 3 साल के बाद, अगर आप चाहें तो पूरा निकाल सकते हैं। आंशिक निकासी भी एक विकल्प है। जब तक आप चाहें, स्कीम में बाकी पैसा रह सकता है। ELSS अलग है क्योंकि इसमें मार्केट लिंक्ड रिटर्न की जगह निवेश पर ब्याज मिलता है। ELSS म्यूचुअल फंड कैटेगरी ने पिछले दशक में लगभग 8.5% का रिटर्न दिया है।
Public Provident Fund—PPF Public Provident Fund (PPF) यह स्कीम किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोला जा सकता है। यह किसी भी पोस्ट ऑफिस या बैंक में भी भेजा जा सकता है। सिर्फ पांच सौ रुपये इसे खोलने के लिए पर्याप्त हैं। हर साल 500 रुपये जमा करना आवश्यक है। साल में अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख रुपए डाल सकते हैं। योजना 15 साल की है, इसलिए पैसा बीच में नहीं निकाला जा सकता है। लेकिन 15 साल के बाद इसे 5 से 5 साल के लिए बढ़ा सकते हैं।
मिलता है लोन और आंशिक निकासी की छूट PPF को 15 साल के पहले बंद नहीं किया जा सकता, लेकिन इस अकाउंट के बदले 3 साल बाद से लोन लिया जा सकता है। 7वें साल से, कोई चाहे तो इस अकाउंट से धन निकाल सकता है। हर तिमाही ब्याज दरों की समीक्षा होती है। ब्याज दरें कम या अधिक हो सकती हैं। फिर भी 7.1 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है। 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक की निवेश पर टैक्स छूट का फायदा मिलता है। कोई भी व्यक्ति इनमें निवेश कर सकता है।
किस क्षेत्र में निवेश करना चाहिए?
निवेश पर टैक्स छूट केवल तीनों विकल्प में उपलब्ध है। लेकिन तीनों स्कीमों से अलग-अलग लाभ हैं। नौकरीपेशा लोग VPF में निवेश करेंगे। क्योंकि PPF और ELSS से अधिक ब्याज मिलेगा। ELSS भी बेहतर है अगर रिस्क को कम कर सकते हैं। SIP (एक मासिक निवेश) में पैसा लगाना चाहिए। इससे निवेश पर रिस्क कम होता है और अच्छे रिटर्न की संभावना बढ़ती है। वहीं, मार्केट रिस्क से बचना चाहते हैं तो PPF में निवेश करना उचित होगा।