Procreate Right : पंजाब जेलों में जीवनसाथी के साथ की छूट की शुरुआत, जानिए किस किस कैदी को छूट
Procreate Right : जेल में बंद पति या पत्नी अपने लाइफ पार्टनर से एकांत में मिल सकेंगे. चौंकिए मत, यह पहल पंजाब सरकार ने की है और कुछ मामले इसकी वजह हैं जो इसी साल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचे ....
पहला मामला
जनवरी 2022 को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें पत्नी ने अपने पति से अलग कमरे में मिलने का समय मांगा. उसने संविधान के आर्टिकल 21 का हवाला दिया, जिसमें उसे इसका अधिकार मिला है.
दूसरा मामला
मार्च 2022 में गुरुग्राम की एक महिला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंची. उसकी पिटीशन दूसरे केसों से कुछ अलग थी. महिला ने जेल में बंद पति से शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत मांगी थी. महिला ने दलील दी कि वह जेल में बंद पति से अपना वंश आगे बढ़ाना चाहती है. महिला ने कहा कि उसके पति को गुरुग्राम कोर्ट ने हत्या और अन्य अपराधों का दोषी ठहराया. 2018 के बाद से ही वह भोंडसी जिले की केंद्रीय जेल में बंद है.
तीसरा मामला
जसवीर सिंह ने याचिका दायर कर कहा था कि उसे अपना वंश आगे बढ़ाना है. पत्नी के गर्भवती होने तक उसे जेल में साथ रहने की अनुमति दी जाए. हाईकोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था.
"पंजाब की 4 जेलों में सुविधा मिली"("Facility found in 4 jails of Punjab")
जिसके बाद पंजाब सरकार ने अहम पहल की. यहां की जेल में कैदियों को जीवन साथी संग अकेले में कुछ समय बिताने की इजाजत दी जा रही है. इसके लिए जेल में अलग कमरा बनाया गया है. फिलहाल यह सुविधा इंदवाल साहिब, नाभा, लुधियाना और बठिंडा महिला जेल में शुरू की जा चुकी है. इसे सभी जेलों में शुरू करने की तैयारी है.
कैदियों के लिए गुरदासपुर में बनाया गया कमरा. यौन अपराधियों और गैंगस्टर के लिए नहीं सुविधा
लेकिन यह सुविधा अभी हर अपराधी के लिए नहीं है. कुख्यात अपराधी, गैंगस्टर और यौन अपराधों से जुड़े मामलों में सजा काट रहे कैदियों को यह सुविधा नहीं मिलेगी. जेल अधिकारी ने बताया कि इसके लिए कैदी पहले जेल प्रशासन को एप्लिकेशन देता है.
जेल प्रशासन ने अलग कमरे तैयार किए हैं, जिनमें अलग डबल बेड, टेबल और अटैच बाथरूम भी होगा
अर्जी मंजूर होने के बाद अच्छे आचरण वाले कैदियों को दो घंटे तक अपने जीवनसाथी के साथ रहने की अनुमति दी जाती है..
"मुलाकात से पहले होगा मेडिकल"("There will be medical before the meeting")
मुलाकात से पहले पंजाब सरकार ने कुछ नियमों की लिस्ट भी तैयार कर रखी है. इसमें सबसे पहले शादी का प्रमाण-पत्र है. सबसे पहले पति-पत्नी होने का मैरिज सर्टिफिकेट दिखाना होगा.
दूसरा सबसे बड़ा प्रमाण-पत्र मेडिकल सर्टिफिकेट होगा. जिसमें HIV, यौन संचार रोग (STD), कोरोना संक्रमण व अन्य ऐसी कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए. जेल प्रशासन दो घंटे का समय देगा, जिस पर पति-पत्नी अकेले में समय बिता सकेंगे.
"गल-वकड़ी प्रोग्राम, परिवार से मिलने के लिए"
पति-पत्नी के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने के लिए पंजाब सरकार ने गल-वकड़ी प्रोग्राम की भी शुरुआत की है. यह सुविधाएं ऊपरी तीन जेलों के अलावा अमृतसर में शुरू की गई है और जल्द ही लुधियाना में भी शुरू होने वाली है. जिसमें एक हॉल में कैदी अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ एक घंटे के लिए मुलाकात कर सकता है. एक साथ बैठकर वे खा-पी सकते हैं और बातें भी कर सकते हैं.
"क्यों मुलाकात की जरूरत महसूस हुई"
संविधान के आर्टिकल 21 के तहत महिला ही नहीं, हर किसी को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है. भारत के बाहर कई देशों में जेल में बंद कैदी एक अलग कमरे में अपने जीवन साथी से मिलते हैं
जेल से बाहर घर संभाल रही पत्नी को मानवाधिकारों के तहत वंशवृद्धि का अधिकार है. जेल में बंद कैदियों के साथ बाहर उनका परिवार भी सजा भोगता है. अमेरिका, फिलीपींस, कनाडा, सऊदी अरब, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में ये सुविधा दी जाती है.
"कैदी सुधरेंगे, जेल अफसरों को उम्मीद"("Prisoners will improve, jail officers hope")
पत्नी या परिवार से मिलने की ललक, कैदियों को बदलने के लिए मजबूर करेगी. सीनियर अधिकारी ने बताया कि जेल में लंबे समय से मौजूद कैदियों को इसमें प्राथमिकता दी जाएगी.
जेल विभाग को उम्मीद है कि उसकी इस पहल से पारिवारिक संबंध मजबूत होंगे और कैदी भी खुद को सुधारने का प्रयास करेंगे. इसके बाद जेलें असल में सुधार ग्रह में भी बदल सकती हैं.
यह सुविधा कैदियों को पहले नहीं थी
कोर्ट ने जेल में कैदियों के लिए वैवाहिक संबंध स्थापित करने और फैमिली विजिट की व्यवस्था करने के लिए सरकार को जेल रिफॉर्म्स कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे.(The court had directed the government to constitute a Jail Reforms Committee to establish matrimonial relations and arrange family visits for the prisoners in the jail.)
दरअसल, साल 2015 में फिरौती और उसके बाद बर्बरता से की गई नाबालिग की हत्या के मामले में फांसी और उम्र कैद की सजा भुगत रहे पति-पत्नी की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी.