China-Taiwan Conflict: एक दूसरे की जमीन पर कब्जे की होड बना तनाव की वजह, अमेरिका ने कैसे बढ़ाया झगड़ा, पढ़िये
देश - दुनिया: चीन (China)और ताइवान(Taiwan) के बीच की तल्खी बहुत पुरानी है। इसकी शुरूआत ताइवान(Taiwan) के अस्तित्व के साथ हुई। विवाद की मुख्य वजह दोनों देशों का एक-दूसरे पर दावा है। इस विवाद में चीन(China) का पलड़ा भारी नजर आता है। बावजूद ताइवान को अमेरिकी समर्थन की वजह से ड्रैगन अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाता। बुधवार को अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने ड्रैगन को एक बार फिर भड़का दिया है। चीन लंबे समये से नैंसी को अपना दुश्मन मानता है। जानते हैं- क्या है चीन-ताइवान विवाद की वजह और कैसे हुई अमेरिका की एंट्री?
नैंसी की ताइवान यात्रा से चिढ़ा चीन
नैंसी (Nancy) की ताइवान(Taiwan) यात्रा से चीन इस कदर भड़का हुआ है कि इस द्वीप के चारों तरफ पानी और आसमान में जबरदस्त युद्धाभ्यास कर, चेतावनी दे रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) पहले ही कह चुके हैं कि वह ताइवान को बल पूर्वक भी चीन का हिस्सा बना सकते हैं। वहीं नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) ने बुधवार को ताइवान की यात्रा के दौरान चीन को सख्त संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका, ताइवान को अकेला नहीं छोड़ेगा। अमेरिका हर परिस्थिति में ताइवान के साथ है।
चीन में असली सरकार किसकी?
ताइवान का आधिकारिक नाम, रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC) है। करीब सौ साल पहले मौजूदा चीन को इसी नाम से जाना जाता था। चीन में 1644 में चिंग वंश, जिसे क्विंग वंश भी कहा जाता है का शासन था। वर्ष 1911 में चीन में चिन्हाय क्रांति हुई, जिसमें चिंग वंश सत्ता से बेदखल हो गया। इसके बाद राष्ट्रवादी क्यूओमिनटैंग पार्टी या कॉमिंगतांग पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच चीन की सत्ता पर काबिज होने का झगड़ा शुरू हुआ। आखिरकार कॉमिंगतांग पार्टी सरकार बनाने में कामयाब हुई और उसने चीन का आधिकारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना रखा। यहीं से दोनों राजनीतिक दलों के बीच झगड़े की शुरूआत हो चुकी थी।
गृहयुद्ध में बना ताइवान
करीब 73 वर्ष पहले वर्ष 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार फिर माओत्से तुंग के नेतृत्व में देश की कॉमिंगतांग सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया। इस विद्रोह ने गृहयुद्ध का रूप ले लिया। इसमें कॉमिंगतांग पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और उसके बचे हुए लोगों ने ताइवान वाले हिस्से में जाकर शरण ली। इस द्वीप पर कॉमिंगतांग पार्टी के लोगों ने अपनी अलग सरकार बनाकर, इसका आधिकारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना रख दिया, जो पहले चीन का नाम हुआ करता था। तब तक चीन की मुख्यभूमि पर काबिज कम्युनिस्ट सरकार उसका नाम बदलकर रिपब्लिक ऑफ चाइना कर चुकी थी। दोनों तरफ के लोग चीन और ताइवान को एक मानते हैं और दोनों तरफ की सरकारें पूरे चीन का राजनीतिक प्रतिनिधित्व करने का दावा करती हैं। यही वजह है कि दोनों तरफ की सरकारें एक-दूसरे की भूमि पर अपने हक का दावा करती रहती हैं। ताइवान क्षेत्रफल, सैन्यबल और अन्य संसाधनों के मामले में चीन से काफी पीछे है, लिहाजा ड्रैगन वक्त-वक्त पर अपनी मनमानी करता रहता है।