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Gaurav Bomb: Adani का 'गौरव बम' दुश्मनों को कैसे devastated करेगा

Latest News: Indian businessman Gautam Adani की कंपनी अडानी Defense and Aerospace चर्चा में है.

 
Gaurav Bomb: Adani का 'गौरव बम' दुश्मनों को कैसे devastated करेगा 

Haryana Update: कंपनी ने Indian Airforce के लिए खास बम तैयार किए हैं. इनके नाम हैं गौरव long range glide bomb  और गौथम बम. गौरव लम्बी दूरी का ग्लाइड बम है. 10 हजार किलो भारी गौरव बम का परीक्षण पिछले साल किया गया था, जो सफल रहा था. यह ग्लाइड करते हुए दुश्मनों और उनके ठिकानों को तबाह करता है. आसान भाषा में समझें तो यह हवा में उड़ते हुए हमला करता है.

 

 

 

Indian Army के लिए ये बम कितना काम का साबित होंगे, इनकी खासियत क्या हैं और दुश्मनों को तबाह करने के लिहाज से कितना पावरफुल हैं, जानिए इन सवालों के जवाब…

 

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Gaurav Long Range Glide Bomb को अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर तैयार किया गया है. DRDO के वैज्ञानिकों ने ऐसे 2 तरह बम की डिजाइन पर काम किया गया है. इन्हें डिजाइन करने के बाद उसे तैयार करने की जिम्मेदारी अडानी की कंपनी को दी गई. दोनों बमों को तैयार कर लिया गया. इन्हें विंग के जरिए ग्लाइड किया जाएगा. इस तरह ग्लाइड के जरिए हमला करने वाला पहला बम तैयार किया गया है.


 

two bombs ready
अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने दो ऐसे बम तैयार किए हैं. पहला है- गौरव और दूसरे का नाम है गौथम. दोनों ही बम अपने आप में पावरफुल हैं. दोनों ही बमों का इस्तेमाल तब किया जा सकता है जब Aircraft की रेंज के दायरे से बाहर टारगेट को निशाना बनाना हो. दोनों की क्षमताएं और खूबियां अलग-अलग हैं.

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Now know the merits of both
कितना वजनी है बम:

1 हजार किलो वजनी गौरव बम लम्बी दूरी का ग्लाइड बम है, जबकि गौथम का वजन 550 किलो है और यह बिना विंग का बम है. दोनों बमों की लम्बाई 4 मीटर है.
 

Up to what range will it kill:

गौरव बम 100 किलोमीटर की रेंज तक ग्लाइड कर सकता है. वहीं, गौथम बम बिना विंग के 30 किलोमीटर तक ग्लाइड करने की क्षमता रखता है.
 

How to control:

दोनों ही बमों में पावरफुल नेविगेशन सिस्टम लगा है. जीपीएस और navigator satellite guidance system की मदद से इन्हें कंट्रोल किया जाता है और लक्ष्य को भेदा जा सकता है.
 

With which aircraft will be used:

इन बमों का इस्तेमाल Sukhoi Su-30MKI Fighter Jet  के साथ किया जा सकता है. पिछले साल बालासोर में हुए ट्रायल में सुखोई जेट से भी गौरव बम का परीक्षा हुआ था. यह हवा में तैरते हुए जाकर दुश्मनों के ठिकाने को नष्ट कर सकता है.
 

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Bomb will prove to be so helpful:

दोनों ही बम भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाने का काम करेंगे. ये बम दुश्मनों के उन ठिकानों को टार्गेट कर पाएगा जो anti-aircraft defense की रेंज के बाहर हैं. इस तरह collateral damage का खतरा कम हो जाएगा.


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