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Independence Day 2022: शहीद तुकाराम, जिन्होंने ने गोली लगने पर भी बाज़ुओं की पकड़ ढीली नहीं पड़ने दी

Tukaram Omble Story: तुकाराम ओंबले की शहादत का सम्मान करते हुए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया. भारत तुकाराम के बलिदान का हमेशा कर्जदार रहेगा.
 
Independence Day 2022: शहीद तुकाराम, जिन्होंने  ने गोली लगने पर भी बाज़ुओं की पकड़  ढीली नहीं पड़ने दी 

Haryana Update: Tukaram Omble: हिंदुस्तान अपनी आजादी के 75वें साल का जश्न मना रहा है. countless sacrifices और लंबे संघर्ष के बाद हमें अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी. जहां आजादी की लड़ाई में देश के लोगों ने valor and struggle का परिचय दिया वहीं आजादी के बाद भी ऐसे कई सपूत हुए जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. ऐसे ही महान देशभक्त थे शहीद तुकाराम ओंबले.Martyr Tukaram Omble was such a great patriot.

 

 

 

तुकाराम ओंबले ने कई गोलियां लगने के बाद भी मुंबई हमले के दौरान एकमात्र जीवित पकड़े गए आतंकी कसाब पर अपने बाजुओं की जकड़ को ढीला नहीं पड़ने दिया था. अपने इस आर्टिकल में हम शहीद तुकाराम ओंबले के महान बलिदान के बारे में आपको बताएंगे-

 

26/11 Mumbai attack-

हिंदुस्तान की खुशहाल सरजमीं को अपने नापाक इरादों और दहलाने की सोच के साथ 10 आतंकवादी 26 नवंबर 2008 को समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से मुंबई पहुंचे थे. ये Terrorist Lashkar-e-Taiba से जुड़े हुए थे और उन्हें बकायदा प्रशिक्षण दिया गया था. सारे आतंकवादियों के पास अत्याधुनिक हथियार थे. मुंबई पहुंचकर इन आतंकवादियों ने पहले छत्रपति शिवाजी टर्मिनल और लियोपोल्ड कैफे में लोगों की अंधाधुंध जानें ली.Indiscriminately killed people at Chhatrapati Shivaji Terminal and Leopold Cafe.

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Five Star Taj Hotel

उसके बाद मुंबई के Five Star Taj Hotel  में जाकर उन्होंने इतने क्रूर और बर्बर तरीके से अंधाधुंध गोलियां बरसाई कि जो भी उनकी नजर में आया सबकी जान ले ली. पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग और यहां तक कि बच्चों को भी उन्होंने नहीं बख्शा. इस हमले 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी और 300 से भी ज्यादा लोग घायल हुए थे. जान गंवाने वालों और घायलों में कई विदेशी लोग भी शामिल थे. उस दिन सिर्फ 10 आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी को दहला दिया था.

Tukaram Omble caught Kasab by giving martyrdom

आतंकी हमले को लगभग काबू में कर लिया गया था. भारत के सशस्त्र बल के कई जवानों ने अपनी शहादत लेकर आतंकियों को मार गिराया था. दूसरी ओर आतंकी कसाब अपने एक साथी के साथ अपने एक साथी के कार से कहीं दूसरी जगह जाकर आतंक फैलाने निकला था. जब वह एक चेकपोस्ट पर पहुंचा तो दोनों आतंकियों और पुलिस के बीच जमकर गोलीबारी हुई. इसी चेकपोस्ट की रखवाली में तैनात थे तुकाराम ओंबले. पुलिस की गोलीबारी में एक आतंकी तो मारा गया लेकिन कसाब ने आत्मसमर्पण करने का इशारा किया. असल में वह झूठा नाटक कर रहा था. जैसे ही पुलिसकर्मी उसके नजदीक पहुंचे उसने गोलीबारी शुरू कर दी.

तभी तुकाराम ओंबले ने अपनी जान की परवाह किए बगैर Kasab को पकड़कर अपनी बाजुओं में जकड़ लिया. हथियार की नली दूसरे पुलिसकर्मियों की ओर थी उसे पकड़कर तुकाराम ने मोड़ दिया. कसाब ने तुकाराम पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. भारत के सपूत तुकाराम की पकड़ ढीली नहीं हुई और उनकी वजह से मुंबई आतंकी हमले के इकलौते जीवित आतंकी को पकड़ा जा सका. जिससे पता चल पाया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान और वहां मौजूद आतंकी संगठन का हाथ है. तुकाराम ओंबले की शहादत का सम्मान करते हुए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया. भारत तुकाराम के बलिदान का हमेशा कर्जदार रहेगा.

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Martyr Tukaram Omble was honest and hardworking-

तुकाराम आंबले मुंबई पुलिस में एक सामान्य जवान थे लेकिन वह भली-भांति जानते थे कि उनके कंधों पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी है. अपनी ड्यूटी को लेकर वह बहुत संजीदा थे. इसके अलावा वह अपने साथियों की बहुत फिक्र करते थे. कसाब को पकड़ने के दौरान भी उन्होंने अपने साथियों की जान बचाने के लिए उसके हथियार की नली पकड़कर मोड़ दी थी. वह हिम्मत और देशभक्ति का पर्याय थे. भारत भूमि को अपने बेटे शहीद तुकाराम ओंबले पर गर्व है.

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