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'रूस से हमारा खून खरीद रहा है भारत, यूक्रेन के विदेश मंत्री ने क्यों कह डाली या बात, जानिए

'India is buying our blood from Russia, why did the Foreign Minister of Ukraine say or talk, know
 
'रूस से हमारा खून खरीद रहा है भारत, यूक्रेन के विदेश मंत्री ने क्यों कह डाली या बात, जानिए 

Haryana Update. #russia से तेल खरीदने को लेकर #ukrine ने #india पर अपनी भड़ास निकाली है। #ukrine का कहना है कि रूस से कच्चा तेल खरीदकर भारत #ukrine का खून खरीद रहा है। बता दें कि #ukrine पर रूस ने 24 फरवरी को हमला किया था।

 

 

उसके बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन भारत ने पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखा। भारत ने यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात बढ़ाया है और उसके साथ व्यापार भी जारी रखा है।

इस मुद्दे पर #Ukraine's Foreign Minister Dmitro Kuleba ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन को भारत से "अधिक व्यावहारिक समर्थन" की उम्मीद है। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कुलेबा ने तर्क दिया कि यूक्रेन भारत का एक विश्वसनीय भागीदार रहा है, लेकिन रूस से buying crude oil, भारत असल में यूक्रेनी खून खरीद रहा है।

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भारत को लेकर यूक्रेन की ये सख्त टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं जब External Affairs Minister S. Jaishankar ने हाल ही में कहा था कि तेल एवं गैस की ‘‘अनुचित रूप से अधिक’’ कीमतों के बीच सरकार का अपने लोगों के प्रति “नैतिक दायित्व” है।

यूक्रेनी विदेश मंत्री ने कहा, “जब भारत [at a discount] रूस से कच्चा तेल खरीदता है, तो उसे यह समझना होगा कि इस डिस्काउंट की भरपाई कहीं और से नहीं बल्कि यूक्रेन के खून से होगी। भारत को मिलने वाले रूसी कच्चे तेल के हर बैरल में यूक्रेन का लहू मिला है। हम भारत के लिए मित्रवत रहे हैं। मैंने भारतीय छात्रों को निकालने में समर्थन किया था। हमें भारत से यूक्रेन को और अधिक व्यावहारिक समर्थन की उम्मीद थी।” उन्होंने भारत और यूक्रेन को दो ऐसे लोकतंत्रों के रूप में बताया जिनमें आवश्यक समानताएं हैं और "दो लोकतंत्रों को एक-दूसरे के साथ खड़ा होना है"।

भारत ने रूस से तेल खरीदने के अपने रुख का कभी बचाव नहीं किया: जयशंकर

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले की अमेरिका और दुनिया के अन्य देश भले ही सराहना नहीं करें, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है कि नई दिल्ली ने अपने रुख का कभी बचाव नहीं किया।

उन्होंने कहा कि भारत ने इसके साथ ही उन्हें यह एहसास कराया कि तेल एवं गैस की ‘‘अनुचित रूप से अधिक’’ कीमतों के बीच सरकार का अपने लोगों के प्रति “नैतिक दायित्व” है। जयशंकर भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की नौवीं बैठक में भाग लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे और उन्होंने एक समारोह में भारतीय समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की।

जयशंकर ने भारतीय समुदाय के साथ मुलाकात के दौरान यूक्रेन एवं रूस के मध्य जारी युद्ध के बीच, रूस से कम दाम पर तेल खरीदने के भारत के फैसले का बचाव किया और कहा कि भारत के कई आपूर्तिकर्ताओं ने अब यूरोप को आपूर्ति करना शुरू कर दिया है, जो रूस से कम तेल खरीद रहा है।

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उन्होंने कहा कि तेल की कीमत ‘‘अनुचित रूप से अधिक’’ हैं और यही हाल गैस की कीमत का है। उन्होंने कहा कि एशिया के कई पारंपरिक आपूर्तिकर्ता अब यूरोप को आपूर्ति कर रहे हैं, क्योंकि यूरोप रूस से कम तेल खरीद रहा है।

Jaishankar said, ‘‘हम अपने हितों को लेकर बहुत खुले एवं ईमानदार रहे हैं। मेरे देश में प्रति व्यक्ति आय दो हजार डॉलर है। वे लोग ऊर्जा की अत्यधिक कीमत को वहन नहीं कर सकते।’’ उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना सरकार का ‘"Obligation" and "Moral Duty’’ है कि भारत के हित सर्वोपरि हों।

रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि न केवल अमेरिका बल्कि अमेरिका समेत सभी जानते हैं कि हमारी क्या स्थिति है और वे इस बारे में अब आगे बढ़ चुके हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आप खुलकर और ईमानदारी से अपनी बात रखते हैं, तो लोग उसे स्वीकार कर लेते हैं।’’

भारत ने पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद रूस से यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात बढ़ाया है और उसके साथ व्यापार जारी रखा है। भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जून में कहा था कि रूस से भारत द्वारा कच्चे तेल के आयात में अप्रैल से 50 गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

मई में सऊदी अरब को पीछे छोड़कर रूस भारत को कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया था। इराक भारत को तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी कच्चा तेल बेहद कम कीमत पर उपलब्ध था। भारतीय तेल कंपनियों ने मई में रूस से 2.5 करोड़ बैरल तेल का आयात किया।

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