महामहिम की शपथ: द्रौपदी मूर्मु बनीं देश की 15वीं राष्ट्रपति, बोलीं- गौरवान्वित महसूस कर रही हूं
Droupadi Murmu Takes Oath As President Of India: द्रौपदी मूर्मु ने देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर सोमवार की सुबह संसद के सेंट्रल हॉल में शपथ ले ली.
CJI एन वी रमन्ना ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. द्रौपदी मुर्मू ने शपथ के बाद संबोधित करते हुए कहा कि वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत अन्य कई बड़े नेता संसद भवन पहुंचे. शपथ लेने से पहले द्रौपदी मूर्मू राजघाट पहुंची और वहां पर महात्मा गांधी की श्रद्धांजलि अर्पित की.
बिरसा मुंडा के बलिदान से प्रेरणा मिली
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है. उन्होंने कहा कि संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को और सशक्त किया था. सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए 'धरती आबा' भगवान् बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी.
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जंगल और जलाशयों के महत्व को महसूस किया
उन्होंने आगे कहा कि कुछ ही दिन पहले भारत ने कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज़ लगाने का कीर्तिमान बनाया है. इस पूरी लड़ाई में भारत के लोगों ने जिस संयम, साहस और सहयोग का परिचय दिया, वो एक समाज के रूप में हमारी बढ़ती हुई शक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक है. राष्ट्रपति ने आगे कहा कि मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है. मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है. हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं.
शिक्षक के तौर पर कार्यकाल को किया याद
उन्होंने आगे कहा कि दशकों पहले मुझे रायरंगपुर में श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य करने का अवसर मिला था. कुछ ही दिनों बाद श्री ऑरोबिंदो की 150वीं जन्मजयंती मनाई जाएगी. शिक्षा के बारे में श्री ऑरोबिंदो के विचारों ने मुझे निरंतर प्रेरित किया है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु ने आगे कहा कि एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में 75 वर्षों में भारत ने प्रगति के संकल्प को सहभागिता एवं सर्व-सम्मति से आगे बढ़ाया है. विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए 'एक भारत - श्रेष्ठ भारत' के निर्माण में सक्रिय हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है. इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य. मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं.