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RIL Chairman Mukesh Ambani: अंबानी को मिली जान से मारने धमकी, रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में आया कॉल

Mukesh Ambani: रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में एक अज्ञात नंबर से फोन आया है।  फोन करने वाला व्यक्ति खुद को नंबर वन आतंकवादी बता रहा था।  वह आरआईएल के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी और उनके परिवार को धमकी दे रहा था। 
 
RIL Chairman Mukesh Ambani: अंबानी को मिली जान से मारने धमकी, रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में आया कॉल

Haryana Update: (Reliance Industries Limited) रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के (Chairman and MD Mukesh Ambani) चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी। (Reliance Foundation Hospital) रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल को एक अज्ञात नंबर से फोन कॉल आया है।  फोन करने वाला व्यक्ति खुद को नंबर वन (Terrorist) आतंकवादी बता रहा था।  वह फोन कॉल पर रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी को देख लेने की धमकी दे रहा था।  साथ ही वह फोन कॉल पर एनआईए, एटीएस, मुंबई पुलिस को अपशब्द कह रहा था। 

 

 

 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फोन करने वाला व्यक्ति मुकेश अंबानी और उनके परिवार को धमकी दे रहा था।  ये कॉल्स सुबह करीब 10:30 बजे के करीब आए। अस्पताल प्रशासन ने इस बारे में (DB Marg Police Station) डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक रिपोर्ट दर्ज करवाई है।  हमारे सहयोगी media रिपोर्ट के मुताबिक हॉस्पिटल में कुल आठ कॉल किए गए।  डीबी मार्ग स्टेशन की पुलिस इन (verify calls) कॉल्स को वेरिफाइ करने में जुट गई है।  शुरुआती जांच से पता चला है कि कॉल करने वाला व्यक्ति मानसिक रोगी है।  इस बीच ‘एंटीलिया’ के बाहर पुलिस सुरक्षा और पुख्ता कर दी गई है।  निजी सुरक्षाकर्मियों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। 

 

इससे पहले भी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन की सुरक्षा में सेंध लगने की बात सामने आती रही है।  पिछले साल फरवरी महीने में मुकेश अंबानी और उनके परिवार के घर ( Mukesh Ambani's house 'Antilia') ‘एंटीलिया’ के बाहर विस्फोटकों से भरी एक (suv) एसयूवी कार बरामद की गई थी।  उस मामले की जांच (NIA) एनआईए कर रही है। 

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इसी साल जुलाई महीने में ( suprem court) सुप्रीम कोर्ट ने (Central government) केंद्र सरकार की ओर से (Mukesh Ambani and his family got security) मुकेश अंबानी और उनके परिवार को मिली सुरक्षा के बनाए रखने का आदेश दिया था।  शीर्ष अदालत ने इस संबंध में (Tripura High Court) त्रिपुरा हाईकोर्ट में दाखिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई को रोकते हुए यह फैसला दिया था। 

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