US Business Of Weapons: सिर्फ 30 फीसदी हथियार पहुंच रहे यूक्रेन सेना के पास,बाकी की हो रही अपराधियों को सप्लाई?
Haryana Update: वजह यह कि यूक्रेन को लगातार पश्चिमी देशों और खास कर अमेरिका की तरफ से लगातार हथियारों की सप्लाई हो रही है। अमेरिका अभी तक यूक्रेन को युद्ध सामग्री की 17 खेप भेज चुका है और 18वीं जल्द ही भेजी जानी है। जो सबसे बड़ी खेप होगी। अभी तक अमेरिका कुल 10 खरब डालर (करीब 80 खरब रुपये) के हथियार यूक्रेन को भेज चुका है।
According to CBS News of America
यह रकम (Annual GDP of about 50 countries of the world including Bhutan, Tajistan and Congo) भूटान, ताजिस्तान और कांगो समेत दुनिया के करीब 50 देशों की सालाना जीडीपी से कहीं ज्यादा है। लेकिन अमेरिका के (CBS News) सीबीएस न्यूज के अनुसार कहानी में ट्विस्ट यह है कि अमेरिका से भेजे जा रहे इन हथियारों और गोला-बारूद में से सिर्फ 30 से 40 फीसदी ही यूक्रेन की सेना के पास पहुंच रहे हैं। फिर बाकी किधर जा रहा है? खबर यह है कि अमेरिका की यह सप्लाई यूक्रेन में भ्रष्टाचार के रास्ते होते हुए अंतरराष्ट्रीय तस्करों और अपराधियों तक पहुंच रही है। यूरोप के सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में यूक्रेन दूसरे नंबर है। पहले नंबर पर रूस है।
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Russia, America's advantage in war
पूरी दुनिया मानती है कि विश्व में कहीं भी युद्ध हो तो इसका फायदा (America)अमेरिका को होता है क्योंकि उसके यहां (largest arms exporting companies) सबसे बड़ी हथियार निर्यातक कंपनियां हैं। इस युद्ध में खुद रूस मैदान में है, जो (World's second largest arms supplier) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है। ऐसे में सवाल है कि क्या खुद युद्ध में होते हुए (Russia) रूस दूसरों को हथियार बेच सकेगा। साफ है कि नहीं। ऐसे में क्या अमेरिका के हथियार बाजार को और फायदा होगा? वह रूस के हथियार खरीदारों को अपनी तरफ खींच सकेगा? लेकिन फिलहाल चिंता का विषय यह है कि युद्ध के दौर में (corruption in ukraine) यूक्रेन में भ्रष्टाचार और वहां (military officers) सैन्य अधिकारिकों की मिली भगत से अमेरिका द्वारा भेजे गए हथियार गलत हाथों में पहुंच रहे हैं। ये बहुत खतरनाक और घातक हथियार हैं। यूरोपीय अधिकारी मानते हैं कि (Weapons Organized Crime Syndicate) हथियार ऑर्गनाइज्ड क्राइम सिंडिकेट चलाने वालों के पास जा रहे हैं। जबकि रूस को डर है कि ये (Weapons Central-Asia) हथियार मध्य-एशिया के देशों में पहुंच सकते हैं। दोनों ही स्थितियां दुनिया के लिए अच्छी नहीं हैं।
China will benefit
(Amnesty International) एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अमेरिका के सभी हथियारों के (Ukrainian army) यूक्रेनी सेना तक नहीं पहुंचने पर चिंता व्यक्त की है। उसने कहा है कि यह अमेरिका की जिम्मेदारी है कि हथियारों के लेनदेन को अपनी देखरेख में अंजाम दे। जानकारों को डर है कि हथियारों के गलत हाथों में पहुंचने से यूक्रेन का भविष्य (Iraq or Afghanistan) इराक या अफगानिस्तान जैसा न हो जाए। (terrorist and separatist organizations) आतंकी और अलगाववादी संगठन हथियार खरीद सकते हैं। लेकिन अमेरिका इस पर फिलहाल ध्यान नहीं दे रहा क्योंकि उसकी सैन्य कंपनियों को इससे फिलहाल बहुत आर्थिक फायदा हो रहा है।
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Military-Industrial Complex
मिलिट्री-इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स कहलाने वाली यही कंपनियां अमेरिका के राजनीतिक दलों को अरबों-खरबों का चंदा देती हैं। दुनिया को एक और खतरा यह दिख रहा है कि जब दूसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर रूस अपने यहां से हथियार नहीं बचेगा, तो आने वाले समय में चीन उसकी जगह ले सकता है। जानकारों का मानना है कि अगर चीन को मौका मिला और वह इस बाजार में घुस गया तो अपने किफायती हथियारों से नए ग्राहक बनाएगा। इससे (China Economic) चीन की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। साथ ही वह हथियारों की बिक्री के बहाने दूसरे देशों पर अपना प्रभाव भी बढ़ाएगा। दुनिया के लिए यह बातें चिंता का बड़ा सबब बनती जा रही हैं।