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INS Vikrant: Vikrant ने की हिंद महासागर में एंट्री, चीन को मिलेगा करारा जवाब?

INS Vikrant join Indian Navy: भारतीय नौसेना में आईएनएस विक्रांत की एंट्री से भारतीय नौसेना की ताकत और भी मजबूत हो गई है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इसे देशसेवा के लिए समर्पित किया।
 
INS Vikrant: Vikrant ने की हिंद महासागर में एंट्री, चीन को मिलेगा करारा जवाब? 

Haryana Update: INS Vikrant: इस दौरान पीएम मोदी ने आईएनएस विक्रांत की खूबियां गिनाते हुए बताया कि भारत रक्षा के क्षेत्र में किस तरह से पावरफुल हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कई बार हिंद महासागर, इंडो-पेसिफिक और समुद्री सुरक्षा का जिक्र किया, जिससे पता चलता है कि आईएनएस विक्रांत सुरक्षा के साथ ही डिप्लोमेसी में भी अहम रोल निभाएगा।

क्या रणनीति हो सकती

ऐसे में जानते हैं कि आईएनएस विक्रांत को लेकर क्या रणनीति हो सकती और किस तरह विक्रांत भारत की प्रभुत्व कायम रखने में अहम किरदार बनेगा। तो जानते हैं कि आईएनएस विक्रांत को लेकर क्या है सरकार का प्लान…।

क्या कहा पीएम मोदी ने?

विक्रांत को देश को समर्पित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य ने दुविया को बहु धर्वीव बना दिया है। इस तरह की परिस्थितियों में हिंद प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र देश की बड़ा रक्षा प्राथमिकता है। उन्होंने भी हिंद महासागर की सुरक्षा पर जोर दिया।

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भारत की ताकत बनेगा विक्रांत?

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से अंदाजा लगाया जा रहा है कि आईएनएस विक्रांत और इसकी पूरी टीम इंडो-पेसिफिक और हिंद महासागर में अन्य देशों के सामने भारतीय प्रभुत्व को प्रदर्शित करेगा। इन देशों को क्वाड ग्रुप कहा जाता है, जिसमें अमेरिका, इंडिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देश शामिल हैं। खास बात ये है कि जैसे ही विक्रांत नेवी में एक्टिव होगा, जब से कई परीक्षण शुरू हो जाएंगे, जो भारत की सैन्य ताकत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का काम करेंगे।

क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बढ़ेगी

माना जा रहा है कि आईएनएस विक्रांत की तैनाती से हिंद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बढ़ेगी। ऐसे में जल्द ही मिग-29 लड़ाकू विमान का परीक्षण भी विक्रांत पर जल्द शुरू होने वाला है और ये अगले साल तक युद्ध के लिए तैयार हो जाएगा। बताया जा रहा है कि जीई टर्बाइन इंजन के साथ आईएनएस विक्रांत अंतत: इंडो-पैसिफिक पर फोकस के साथ पूर्वी तट पर विशाखापत्तनम में स्थित होगा। वहीं, आईएनएस विक्रमादित्य भारत के पश्चिमी समुद्री तट पर बल प्रोजेक्ट करेगा।

चीन को मिलेगा करारा जवाब?

विक्रांत चीन को भी जवाब देने में अहम भूमिका निभाएगा। दरअसल, ये उस वक्त सेना में शामिल होगा, जिस वक्त चीन समुद्री रास्ते से हर दिशा से भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत हिंद महासागर में काम कर रहा है और अलग अलग देशों के साथ मिलकर भी नौसेनिक अड्डों का बेस बना रहा है।

चीन बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका के साथ नौसेनिक बेस बना रहा है। ऐसे में भारत की ओर आईएनएस विक्रांत की तैनाती चीन को भी करारा जवाब देगी और इससे होने वाली गतिविधियां भारत के प्रभुत्व को बनाए रखेगी।

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आईएनएस विक्रांत में क्या है खास?

बता दें कि विक्रांत के फ्लाइट डेक का क्षेत्रफल 12,500 वर्ग मीटर है। विक्रांत में स्काई-जंप से सुसज्जित एक छोटा रनवे और एक लंबा रनवे है। इसके साथ ही इसमें बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी हैं, जिसमें देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से ज़्यादा एमएसएमई शामिल हैं। विक्रांत में 15 डेक, एक मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल, एक पूल, एक किचन और महिलाओं के लिए विशेष केबिन हैं, और ज़ाहिर है, जहाज में लड़ाकू विमानों को ले जाने, हथियार देने और पुनर्प्राप्त करने की तकनीक है।

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