Politic on INS Vikrant: 9 साल पुराना वीडियो शेयर कर मोदी सरकार पर साधा निशाना- Congress
Haryana UPdate: Politics over INS Vikrant: केरल के कोच्चि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को नौसेना को INS विक्रांत समर्पित किया, साथ ही PM मोदी ने नेवी के नए लोगो को भी लॉन्च किया। INS विक्रांत से इंडियन नेवी की ताकत में कई गुना इजाफा होगा लेकिन अब इस मुद्दे पर भी सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने भारत के पहले स्वदेश निर्मित पोत INS विक्रांत को राष्ट्र को समर्पित करने का श्रेय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और आरोप लगाया कि उन्होंने पहले की सरकारों के योगदानों को सही जगह नहीं दी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने निशाना साधते हुए अगस्त 2013 में आईएनएस विक्रांत का उद्घाटन करते पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी का एक वीडियो शेयर किया है।
पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी कर चुके हैं लॉन्च
जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार सत्ता में है, इसलिए वह इस विमानवाहक पोत को राष्ट्र को समर्पित कर रही है। रमेश ने कहा, ‘मोदी सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। जब इसे बेड़े में शामिल किया जा रहा है तब मोदी सरकार सत्ता में है। सच्चाई यह है कि कई साल पहले रक्षा मंत्री रहते हुए एके एंटनी ने आईएनएस विक्रांत को लॉन्च किया था। डिजाइन से लेकर निर्माण और लॉन्च से लेकर देश को समर्पित करने में 22 साल लगे हैं। मोदी सरकार ने बस, इसे बेड़े में शामिल किया है और वह इसका श्रेय ले रही है।'
देश की मजबूती को बल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश ने कहा कि यह ऐसी उपलब्धि है जिससे देश की मजबूती को बल मिलेगा और अपनी खासियत के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने पहले की सरकारों के योगदानों को सही स्थान नहीं दिया। एंटनी का वीडियो शेयर करते हुए रमेश ने यह भी कहा, ‘तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने 12 अगस्त 2013 को भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को लॉन्च किया था। प्रधानमंत्री ने इसे आज बेड़े में शामिल किया है। आत्मनिर्भर भारत 2014 से पहले भी था। इससे जुड़े पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदानों की भी सराहना की जानी चाहिए।’
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Then defence minister AK Antony launched India’s first indigenous aircraft carrier INS Vikrant on 12.08.2013. The PM commissioned it today. A self-reliant(Aatmanirbhar) India existed before 2014. All other Prime Ministers would have acknowledged continuity in governance. pic.twitter.com/9IKqEoayzC
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 2, 2022
पहले की सरकारों का भी योगदान
उन्होंने कहा, ‘भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र को समर्पित किया जाना 1999 के बाद की सभी सरकारों के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है। क्या प्रधानमंत्री मोदी इसे स्वीकार करेंगे?’ रमेश ने कहा कि इस मौके पर पहले आईएनएस विक्रांत को भी याद किया जाना चाहिए, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता कृष्णा मेनन ने ब्रिटेन से इसे हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
आईएनएस विक्रांत’ को समर्पित
प्रधानमंत्री ने कोच्चि में ‘आईएनएस विक्रांत’ को समर्पित किया। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं। कुल 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा यह जहाज 28 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है। 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बना यह विमान वाहक जहाज अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यह देश में बने ‘एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर’ (ALH) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू विमान सहित 30 विमान संचालित करने की क्षमता रखता है।
आत्मनिर्भरता का उदाहरण है INS विक्रांत
रमेश ने कहा कि आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाना भारतीय नौसेना के इंजीनियरों, अधिकारियों और कोच्चि शिपयार्ड के कर्मचारियों को समर्पित है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी की समस्या ये है कि सरकारों की निरंतरता को वह नहीं मानते जैसे 2014 से पहले भारत था ही नहीं। रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की शुरुआत कृष्णा मेनन ने 1957 में रक्षा मंत्री के रूप में की थी और जवाहरलाल नेहरू उस वक्त देश के प्रधानमंत्री थे।’
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आईएनएस विक्रांत भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत को नेवी को समर्पित करते हुए कहा, ‘आईएनएस विक्रांत भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। आईएनएस विक्रांत के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी स्तर पर विमानवाहक पोत बना सकते हैं।’ पीएम मोदी ने कहा कि विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत सिर्फ एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।