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Teacher's Day Special : बुडाना के सतपाल कौशिक ने किया था मात्र 300 रूपए महीने में पढ़ाना, अब निजी स्कूल में भी देने जा रहे निशुल्क शिक्षा

Teachers Day Story: अध्यापक दिवस आते ही हम सब अपने अपने अध्यापकों के संघर्ष को याद करते हुए उनसे प्रेरणा लेने की कोशिश करते हैं। ऐसे ही एक अध्यापक है बुडाना गांव के सतपाल कौशिक जिनके जीवन से उनके हजारों छात्र प्रेरणा लेते हुए जीवन मे आगे बढ़ने का काम करते हैं।
 
Teacher's Day Special : बुडाना के सतपाल कौशिक ने किया था मात्र 300 रूपए महीने में पढ़ाना, अब निजी स्कूल में भी देने जा रहे निशुल्क शिक्षा

Satpal Kaushik Story: अकसर कहा जाता है कि निजी स्कूल संचालक शिक्षा से केवल व्यापार चलाना ही जानते हैं। स्कूल में विद्यार्थियों को देश का भविष्य कम और आमदनी का स्त्रोत समझ ही उन्हे दाखिला व पढाई दी जाती है। लेकिन सतपाल कौशिक के बारे में ये धारणा गलत ही दिखाई देती है। उन्होंने न केवल आज तक गरीब बच्चों को पढ़ाई, किताबों आदि में मदद की बल्कि इस शिक्षक दिवस से हर साल 10 गरीब व जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने की मुहिम भी शुरू करने जा रहे हैं।

 

हर साल चुने जाएंगे 10 बच्चे-
सतपाल कौशिक ने बताया कि इस मुहिम के लिए हर साल 10 बच्चे चुने जाएंगे। ये बच्चे जब तक स्कूल में पढ़ेंगे इन्हें निशुल्क ही पढ़ाया जाएगा। इन बच्चों का चुनाव उनके परिवार की स्थिति व जरूरत देखकर किया जाएगा।

 

मात्र 300 रूपए महीने की आमदनी से शुरू किया अध्यापन -
अध्यापक सतपाल कौशिक के संघर्ष की कहानी शुरू होती है 1993 से जब उनके सिर से उनके पिताजी का साया उठ गया और घर पर 5 छोटे भाई बहनों की जिम्मेवारी उन पर आन पड़ी। उस समय घर के हालातों को देखते हुए उन्होंने मात्र 300 रूपए महीने में अध्यापन का कार्य शुरू किया। 

 


संघर्ष से भरा रहा जीवन- 
कड़े संघर्ष की शुरुआत उनकी जिंदगी में यहीं से हुई थी जब आमदनी का साधन सिर्फ उनके घर पर उनकी 300 रूपए तनख्वाह थी लेकिन पीछे थे 5 भाई बहन जिनकी पढ़ाई के साथ साथ उनका लालन पोषण भी करना था। खेती से कोई ज्यादा कमाई का विकल्प नहीं था, लेकिन उन्होंने हताश न होते हुए हालातों के साथ लड़ना उचित समझा और अपनी पढ़ाई के साथ साथ भाई बहनों की पढ़ाई को भी नहीं रुकने दिया। धीरे धीरे उनकी मेहनत के आगे बुरा समय घुटने रखता गया और अपने संघर्ष की बदौलत नारनौंद में 2003 में अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक निजी विद्यालय की स्थापना कर डाली।

 

निजी विद्यालयों की लूट को देखकर लिया था प्रण -
अपने सफर के दौरान निजी विद्यालयों के खर्चे देख कर सबसे पहला प्रण उन्होंने यहीं लिया की उनके निजी विद्यालय में हर वर्ष वो गरीब और जरूरतमंद बच्चों की हर संभव मदद करेंगे ताकि उनकी तरह कोई मां बाप तंग न हो। इनके इस कदम की तारीफ नारनौंद क्षेत्र में एक नया जोश पैदा कर गई और देखते ही देखते ही इनके विद्यालय का नाम दूर दूर तक गूंजने लगा। 1993 से लेकर अब तक के इनके अध्यापक के सफर में इन्होंने हजारों छात्रों को कामयाब करके उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया है।

 

पढ़ाए हुए छात्र विदेशों में भी मनवा रहे लोहा- 
इनके पढ़ाए हुए कई छात्र आज विदेशों में भी अपना लोहा मनवा रहे हैं। जब इस बारे में इनके पुराने छात्रों से बात की गई तो उन्होंने बताया की सतपाल कौशिक जी एक नेक दिल व मेहनती इंसान है। जब कक्षा में किसी बच्चे के पास गरीबी की वजह किताबे नहीं होती थी तो ये अपनी तरफ से किताबें तक मुहैया करवाते थे।

 

 

मदद का हाथ आज भी बरकरार-
आज भी शिक्षा के इस महंगे होते दौर में इन्होंने अपने प्रण को नहीं छोड़ा और इनके विद्यालय बाल ज्योति सी. सै. स्कूल बुडाना में गरीब व जरूरतमंद बच्चे निशुल्क शिक्षा लेते रहते हैं। इसके साथ साथ जब ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने भी बताया की सतपाल कौशिक एक नेक दिल इंसान के साथ साथ सामाजिक कार्यों के लिए भी बेहतर इंसान हैं। इस अध्यापक की कहानी सच में सभी के लिए एक मिसाल है जहां हम थोड़े से तंग हालातों में अपना संतुलन खो लेते हैं वहीं इन्होंने इनके बुरे हालातों में भी अपने आप को निखार कर इस काबिल बना लिया की आज हजारों छात्र इनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।

 

 

बोर्ड रिजल्ट में टॉप 10 में रहे विद्यार्थी -
इनके मार्गदर्शन में स्कूल ने न केवल नई उंचाईयों को छूआ बल्कि विद्यार्थियों ने भी बुलंदियां हासिल की। साल 2019 में भी बोर्ड रिजल्ट्स में स्कूल की छात्रा प्रदेश में चौथे स्थान पर रही। वहीं हर साल स्कूल का बोर्ड रिजल्ट शत प्रतिशत रहता है।

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