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NCERT Books Controversy : किताबों से हटाये गए हिन्दू मुस्लिम एकता और गांधी-आरएसएस के पाठ; क्या दी NCERT ने इसपर सफाई?

NCERT ने पिछले साल अपने Syllabus मे से गुजरात दंगे, मुगल अदालत, आपातकाल, शीत-युद्ध, नक्सली आंदोलन पर सबक आदि पाठ को हटा दिया गया.
 
ncert books controversy

NCERT Books Controversy: गांधीजी की मृत्यु का देश में सांप्रदायिक स्थिति पर एक अलग ही प्रभाव पड़ा था. महात्मा गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता की सोच ने हिंदू चरमपंथियों को उकसाया और RSS जैसे संगठन पर कुछ समय के लिए बैन लगा दिया था. लेकिन, अब ये सब बीते जमाने के इतिहास की बातें हो जाने वाली हैं.

आज की युवा पीढ़ी को सब बातें अब स्कूली किताबों में पढ़ने को नहीं मिलेंगी. क्योंकि इनसे जुड़े सिलेबस नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) के नए Session 2023-24 से आगे के लिए प्रस्तावित Class 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से गायब हो चुके हैं.

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 NCERT New Books Syllabus: गुजरात दंगे, आपातकाल और नक्सली-आंदोलन जैसे सिलेबस भी हटाए गए

'NCERT ने पिछले साल अपने Syllabus रेशनलाइजेशन अभ्यास के हिस्से के रूप में, ओवरलैपिंग और अप्रासंगिक कारणों का हवाला देते हुए पाठ्यक्रम मे से कुछ हिस्सों को हटा दिया, जिसमें गुजरात दंगे, मुगल अदालत, आपातकाल, शीत-युद्ध, नक्सली आंदोलन पर सबक आदि शामिल किए गए थे'. इसकी नई पाठ्यपुस्तकों (NCERT New Books) में महात्मा गांधी से जुड़ी कई अहम घटनाओं और प्रसंगों का भी कोई उल्लेख नहीं मिल रहा है. हालांकि, 'एनसीईआरटी ने दावा किया है कि इस साल पाठ्यक्रम में कोई कटौती नहीं हुई है और पिछले साल जून में पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया गया था.'

पिछले साल ही पाठ्यक्रम मे बदलाव किए गए था : एनसीईआरटी

NCERT के निर्देशक दिनेश सकलानी ने कहा कि पूरी युक्तिकरण कवायद पिछले साल हुई थी, इस साल कुछ भी नया नहीं किया गया है. हालांकि, उन्होंने गायब अंशों पर कोई टिप्पणी नहीं की, जो युक्तिकरण के समय अप्रासंगिक बताए गए थे.

ncert director

एनसीईआरटी ने अपनी वेबसाइट (NCERT Website) पर एक नोट में लिखा है कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए, छात्रों पर सामग्री के बोझ को कम करना अनिवार्य महसूस हुआ. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 भी सामग्री के भार को कम करने और अनुभवात्मक रचनात्मक मानसिकता के साथ सीखने के अवसर प्रदान करने पर जोर दे रही है. इस पृष्ठभूमि में, नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने सभी कक्षाओं और सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों को युक्तिसंगत बनाने की कवायद शुरू की थी. 

 

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