Tehsildar Vs Patwari: आइये जानते है आखिर क्या फर्क होता है तहसीलदार और पटवारी में ?
Tehsildar Vs Patwari: आपको बता दें कि बहुत से युवा स्टेट गवर्नमेंट जॉब की तैयारी कर रहे होंगे. इसके जरिए विभिन्न विभागों में कैंडिडेट्स की नियुक्तियां की जाती हैं.
तहसीलदार राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी की तरह काम करते हैं. जबकि, पटवारी का कार्य जमीन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स जारी करना और भूस्वामियों से राजस्व जमा करना भी होता है.
इनकी भूमिकाएं और जिम्मेदारियां अलग-अलग होती हैं, लेकिन दोनों ही पद भूमि और राजस्व के प्रशासन और प्रबंधन में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं
Who is more powerful?
तहसीलदार के पास पटवारी की अपेक्षा ज्यादा जिम्मेदारियां होने के साथ ही ज्यादा पावर भी होती हैं. तहसीलदार एक बड़े क्षेत्र के लिए जिम्मेदार होते हैं. इतना ही नहीं उनके पास पटवारी की तुलना में प्रशासनिक कर्तव्य भी ज्यादा होते हैं.
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Patwari is a village-level revenue officer
पटवारी की जिम्मेदारी किसी विशेष गांव में भूमि रिकॉर्ड और राजस्व संग्रह को बनाए रखने की होती है.
पटवारी की जिम्मेदारी भूमि रिकॉर्ड तैयार और अपडेट करने की होती है. पटवारी ग्राम-स्तरीय सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के प्रशासन में भी अहम भूमिका निभाता है.
पटवारी विलेज अकाउंटेंट होते हैं. वे भूमि विवाद भी सुलझाते हैं. पटवारी का काम भूमि मापना और फसल की पैदावार का रिकॉर्ड बनाए रखना है. ये अपने संबंधित क्षेत्रों के भू-नक्शों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
Tehsildar is a revenue officer
तहसीलदार तहसील का प्रभारी प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो किसी एक जिले का एक सब डिवीजन होता है. एक तहसीलदार एक तहसील या सब डिस्ट्रिक्ट के समग्र प्रशासन के लिए जिम्मेदार होता है.
वह अपने अधिकार क्षेत्र में भूमि रिकॉर्ड और राजस्व संग्रह को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है.तहसीलदार के पास विवाद सुलझाने और जुर्माना लगाने की पावर होती है.
राजस्व संबंधी गतिविधियों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. तहसीलदार अपने संबंधित क्षेत्रों में पटवारियों के काम की निगरानी भी करते हैं.