हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल दी एक और खुशिओं की सौगात! इस योजना के तहत मिलेगे 71,000 रुपये
पिछले साढ़े 8 सालों में मुख्यमंत्री ने इस योजना के तहत 821 करोड़ रुपये की राशि दी....
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार बेटियों के उत्थान के लिए संकल्पबद्ध हैं। बेटियां देश व समाज के निर्माण में बराबर की भूमिका निभाएंगी, तब ही हम 21वीं सदी के नये भारत का निर्माण कर पाएंगे। अपने इसी संकल्प को पूरा करने हेतू हरियाणा सरकार मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के रुप में गरीब व जरूरतमंद परिवारों को बेटियों की शादी में आर्थिक सहायता देकर अपनी ओर से महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है।
मुख्यमंत्री आज ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नई दिल्ली से मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के लाभार्थियों से सीधा संवाद कर रहे थे।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने नागरिकों से आह्वान किया कि समाज में फैली दहेज रूपी सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए अपना योगदान दें और यह संकल्प लें कि न तो दहेज लेंगे और न दहेज देंगे।
संवाद के दौरान इस योजना का लाभ लेने वाले परिवारों ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शगुन की राशि हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। किसी भी गरीब परिवार के लिए बेटी का विवाह बड़ी चिंता का विषय होता है, आपने शगुन के तौर पर आर्थिक सहायता देकर हम जैसे कई परिवारों को बेटी की शादी की चिंता से मुक्त किया है।
लाभार्थी की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने दिए एफआईआर के आदेश, 7 दिनों में लाभार्थी को दी जाए राशि
इस दौरान पानीपत से लाभार्थी रामपाल ने मुख्यमंत्री के समक्ष शिकायत रखी कि उन्हें विवाह शगुन योजना के तहत पैसे नहीं मिले हैं, स्थानीय अधिकारी कहते हैं बैंक में राशि डाल दी गई और बैंक वाले कहते हैं कि राशि नहीं आई है। शिकायत पर मुख्यमंत्री ने तुरंत एक्शन लेते हुऐ विभाग को 7 दिन में पैसे लाभार्थी को देने के निर्देश दिए। साथ ही, जिस भी अधिकारी या कर्मचारी की गलती हो, उसके खिलाफ एफआईआर कर जांच के भी निर्देश दिए।
इसके अलावा, फतेहाबाद से एक लाभार्थी श्रीमती गुड्डो देवी ने मुख्यमंत्री को बताया कि उन्हें इस योजना के तहत शगुन की पूरी राशि प्राप्त नहीं हुई है और जब उन्होंने विभाग से पता किया तो यह बताया गया कि गलती से किसी दूसरे लाभार्थी के खाते में राशि चली गई है। डीसी ने हस्तक्षेप करके 64000 रुपए दिलवा दिए हैं, 7000 रुपए अभी रहते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने उसी समय डीसी श्रीमती मनदीप कौर को फ़ोन लाइन पर लेकर इनका सात दिन में समाधान करवाने के निर्देश दिए। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को मैरिज रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सरल करने के निर्देश भी दिए।
पिछले साढ़े 8 सालों में मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत 821 करोड़ रुपये की राशि दी
लाभार्थियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को इस चिंता से मुक्त करने के लिए अक्तूबर, 2015 से मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना की शुरुआत की थी। पिछले साढ़े 8 सालों में 2 लाख 58 हजार कन्याओं के विवाह में शगुन के तौर पर 821 करोड़ रुपये की राशि दी गई है।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार विभिन्न श्रेणियों में 31 हजार रुपये से लेकर 71 हजार रुपये तक की राशि विवाह शगुन योजना के तहत लाभार्थियों को दी जा रही है। यह शगुन राशि 1 लाख 80 हजार रुपये से कम वार्षिक आय वाले सभी बी.पी.एल. परिवारों की बेटियों की शादी पर दी जाती है। पहले यह लाभ केवल दो बेटियों के लिए दिया जाता था। लेकिन वर्तमान राज्य सरकार ने इसे परिवार की सब बेटियों को देने का प्रावधान किया है ।
इनके अलावा, उन सभी बेटियों की शादी पर भी शगुन दिया जाता है, जो इस स्कीम में कवर नहीं होते। उन्हें विवाह की तिथि से 30 दिनों के अंदर विवाह पंजीकरण करवाने पर 1100 रुपये व एक मिठाई का डिब्बा शगुन के रूप में दिया जाता है।
विवाह शगुन राशि के लिए अब दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, पैसे सीधे बैंक खातों में दिए जा रहे
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले विवाह शगुन राशि के लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे तथा राशि भी दो किस्तों में मिलती थी। लेकिन राज्य सरकार ने इस योजना को प्रो-एक्टिव कर दिया है। अब विवाह पंजीकरण करवाने के बाद shaadi.edisha.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। जैसे ही यह आवेदन पोर्टल पर प्राप्त होता है, शगुन की पूरी राशि आवेदक के खाते में चली जाती है।
बेटी को बोझ मानने की मानसिकता बदलने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा व सुरक्षा के लिए की कई पहल
श्री मनोहर लाल ने कहा कि समाज में बेटी के जन्म से ही उसके विवाह की चिंता होने लगती थी, क्योंकि विवाह पर काफी खर्च होता था। इस कारण बेटी को बोझ मानने जैसी मानसिकता भी बन गई थी। इसी मानसिकता के परिणामस्वरूप कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई भी पैदा हुई। हमने इस मानसिकता को तोड़ने के लिए बेटी के विवाह के समय आर्थिक मदद के अलावा उसके स्वास्थ्य, शिक्षा व सुरक्षा के लिए कई पहल की हैं।
कन्या भ्रूण हत्या के कलंक को हरियाणा ने किया दूर
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत से प्रधानमंत्री ने बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया था। उस समय लिंगानुपात और कन्या भ्रूण हत्या के मामले में हरियाणा की स्थिति बड़ी चिंताजनक थी। सरकार के प्रायसों के साथ साथ पंचायतों, खाप पंचायतों और सामाजिक संगठनों के सहयोग से हरियाणा ने इस कलंक को दूर करने के साथ-साथ अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। अब प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात की दर वर्ष 2014 के 871 से सुधरकर 923 तक हो गई है। आज हरियाणा में बेटियों के जन्म पर भी बेटों की तरह खुशियां मनाई जाती है, कुआं पूजन किया जाता है।
आपकी बेटी-हमारी बेटी योजना के तहत दी जाती है 21 हजार रुपये की राशि
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने आपकी बेटी-हमारी बेटी योजना के अंतर्गत बेटी के जन्म पर ही उसके नाम 21,000 रुपये की राशि देने का प्रावधान किया है। अनुसूचित जाति तथा गरीब परिवारों को पहली बेटी के जन्म पर 21,000 रुपये तथा अन्य सभी परिवारों को दूसरी व तीसरी बेटी के जन्म पर 21,000 रुपये की राशि दी जाती है । यह राशि बेटी के नाम भारतीय जीवन बीमा निगम में एकमुश्त जमा करवाई जाती है। उसकी आयु 18 वर्ष होने पर उसे लगभग 1 लाख रुपये की राशि मिलेगी।
उन्होंने कहा कि बेटी जब 18 वर्ष की होती है तो उसकी तकनीकी अथवा उच्चतर शिक्षा या शादी के लिए काफी पैसे की जरूरत पड़ती है। इसकी व्यवस्था के लिए सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना चलाई है। इसमें प्रति वर्ष 250 रुपये से लेकर 1.50 लाख रुपये तक की राशि जमा की जा सकती है। इस राशि पर 8 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज दिया जाता है।
बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किए अथक प्रयास
श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी अथक प्रयास किये हैं। उन्हें घर के नजदीक ही उच्चतर शिक्षा प्रदान करने के लिए हर 20 किलोमीटर के दायरे में कॉलेज खोले गये हैं। यही नहीं, छात्राओं के लिए अलग से कॉलेज भी खोले गये हैं। पिछले साढ़े 8 वर्षों में प्रदेश में कुल 72 नये राजकीय कॉलेज खोले गए, जिनमें से 31 लड़कियों के हैं। आई.टी.आई. में पढ़ने वाली लड़कियों को प्रतिमाह 500 रुपये का वजीफा भी दिया जाता है।
छात्रा परिवहन सुरक्षा योजना के तहत 211 विशेष महिला बसें चलाई जा रही
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1 लाख 80 हजार रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों की छात्राओं की स्नातकोत्तर कक्षा तक की फीस माफ की गई। छात्राओं को अपने घरों से शिक्षण संस्थानों तक आने - जाने के लिए 150 कि.मी. की दूरी तक रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा छात्राओं की यात्रा को सुरक्षित करने के लिए छात्रा परिवहन सुरक्षा योजना के तहत 211 विशेष महिला बसें चलाई गई हैं।
उन्होंने कहा कि हम बेटियों के स्वास्थ्य के प्रति भी सजग हैं। इस दिशा में स्कूलों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर उनके स्वास्थ्य की जांच की जाती है। जरूरत के अनुसार आयरन टेबलेट व अन्य दवाइयां भी दी जाती हैं। बी.पी.एल. परिवारों की किशोरियों व महिलाओं को मुफ्त सेनेटरी पैड उपलब्ध करवाने के लिए महिला एवं किशोरी सम्मान योजना चलाई जा रही है। इसके अतिरिक्त, स्कूलों में भी छात्राओं को सेनेटरी पैड उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के उप प्रधान सचिव श्री के मकरंद पांडुरंग, गुरुग्राम के उपायुक्त श्री निशांत कुमार यादव, सूचना, जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक गौरव गुप्ता सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।