Property knowledge! पिता की संपत्ति पर बेटियां कब नहीं ले सकती हिस्सा? आखिर इसपर क्या कहना है भारत सरकार का !
Daughter’s right in father’s property: लड़कियों को भी अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जरूरत है और उन्हें संपत्ति से जुड़े अपने सभी अधिकारों के बारे में कानूनी रूप से भी पता होना चाहिए. पढ़िए पूरी खबर...
Updated: May 12, 2023, 21:54 IST
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कई बार बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता है.
इसको लेकर बहुत से लोगों में जानकारी का अभाव रहता है.
खासकर महिलाओं को इसकी कम जानकारी होती है.
इसको लेकर बहुत से लोगों में जानकारी का अभाव रहता है.
खासकर महिलाओं को इसकी कम जानकारी होती है.
Daughter’s right in father’s property: कानून में किये जा चुके बदलावों के बावजूद आज भी भारत में संपत्ति का बंटवारा करते समय बेटियों को ध्यान में नहीं रखा जाता है. जागरुकता के अभाव में समय पड़ने पर बेटियां खुद भी आवाज नहीं उठा पाती हैं. लिहाजा जरूरी है कि लड़कियों को भी अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जरूरत है और उन्हें संपत्ति से जुड़े अपने सभी अधिकारों के बारे में कानूनी रूप से भी पता होना चाहिए.
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क्या कहता है कानून
हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया है. संपत्ति पर दावे और अधिकारों के प्रावधानों के लिए इस कानून को 1956 में बनाया गया था.
इसके मुताबिक पिता की संपत्ति पर बेटी का उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का. बेटियों के अधिकारों को पुख्ता करते हुए इस उत्तराधिकार कानून में 2005 में हुए संशोधन ने पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकारों को लेकर किसी भी तरह के संशय को समाप्त कर दिया.
पिता की संपत्ति पर बेटी कब नहीं कर सकती दावा
स्वअर्जित संपत्ति के मामले में बेटी का पक्ष कमजोर होता है. अगर पिता ने अपने पैसे से जमीन खरीदी है, मकान बनवाया है या खरीदा है तो वह जिसे चाहे यह संपत्ति दे सकता है. स्वअर्जित संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को भी देना पिता का कानूनी अधिकार है. यानी, अगर पिता ने बेटी को खुद की संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार कर दिया तो बेटी कुछ नहीं कर सकती है.
बेटी विवाहित हो, उस स्थिति में क्या कहता है कानून
2005 से पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून में बेटियां सिर्फ हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की सदस्य मानी जाती थीं, हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी नहीं. हमवारिस या समान उत्तराधिकारी वे होते/होती हैं जिनका अपने से पहले की चार पीढ़ियों की अविभाजित संपत्तियों पर हक होता है. हालांकि, बेटी का विवाह हो जाने पर उसे हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) का भी हिस्सा नहीं माना जाता है.
2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है. अब बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है. यानी, विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार रहता है.
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