logo

पिता की संपत्ति पर बेटियां कब नही ले सकती हिस्सा? इसपर क्या कहता है भारत का कानून

Daughter’s right in father’s property: कानून में किये जा चुके बदलावों के बावजूद आज भी भारत में संपत्ति का बंटवारा करते समय बेटियों को ध्यान में नहीं रखा जाता है. पढ़िए पूरी खबर...
 
पिता की संपत्ति पर बेटियां कब नही ले सकती हिस्सा? इसपर क्या कहता है भारत का कानून
कई बार बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता है.
इसको लेकर बहुत से लोगों में जानकारी का अभाव रहता है.
खासकर महिलाओं को इसकी कम जानकारी होती है.

Daughter’s right in father’s property: कानून में किये जा चुके बदलावों के बावजूद आज भी भारत में संपत्ति का बंटवारा करते समय बेटियों को ध्यान में नहीं रखा जाता है. जागरुकता के अभाव में समय पड़ने पर बेटियां खुद भी आवाज नहीं उठा पाती हैं.

बॉयफ्रेंड के लाख मनाने और प्यार जताने के बाद आखिरकार गर्लफ्रेंड ने अपनी खोल ही दी? क्या खोल दी बताओ?

लिहाजा जरूरी है कि लड़कियों को भी अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जरूरत है और उन्‍हें संपत्ति से जुड़े अपने सभी अधिकारों के बारे में कानूनी रूप से भी पता होना चाहिए.

वर्तमान भारत में बेटियों को संपत्ति में कितना अधिकार है और कब बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता है इसके संबंध में स्पष्ट कानून है. कहीं भी कोई भ्रम की स्थिति नहीं है. यहां हम आपको बेटियों के पिता की संपत्ति पर हक संबंधी कानूनी प्रावधानों के बारे में बताएंगे…

पिता की संपत्ति पर बेटी कब नहीं कर सकती दावा
स्वअर्जित संपत्ति के मामले में बेटी का पक्ष कमजोर होता है. अगर पिता ने अपने पैसे से जमीन खरीदी है, (Daughter’s right in father’s property)मकान बनवाया है या खरीदा है तो वह जिसे चाहे यह संपत्ति दे सकता है. स्वअर्जित संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को भी देना पिता का कानूनी अधिकार है. यानी, अगर पिता ने बेटी को खुद की संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार कर दिया तो बेटी कुछ नहीं कर सकती है.

बेटी विवाहित हो, उस स्थिति में क्या कहता है कानून
2005 से पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून में बेटियां सिर्फ हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) की सदस्य मानी जाती थीं, हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी नहीं. हमवारिस या समान उत्तराधिकारी वे होते/होती हैं जिनका अपने से पहले की चार पीढ़ियों की अविभाजित संपत्तियों पर हक होता है. हालांकि, बेटी का विवाह हो जाने पर उसे हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) का भी हिस्सा नहीं माना जाता है.

क्या कहता है कानून
हिंदू सक्सेशन ऐक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन कर बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का कानूनी अधिकार दिया गया है. संपत्ति पर दावे और अधिकारों के प्रावधानों के लिए इस कानून को 1956 में बनाया गया था. इसके मुताबिक पिता की संपत्ति पर बेटी का उतना ही अधिकार है जितना कि बेटे का. (Daughter’s right in father’s property)बेटियों के अधिकारों को पुख्ता करते हुए इस उत्तराधिकार कानून में 2005 में हुए संशोधन ने पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकारों को लेकर किसी भी तरह के संशय को समाप्त कर दिया.

 

2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है. (Daughter’s right in father’s property)अब बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है. यानी, विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार रहता है.

जुड़वां बहनों का एक ही बॉयफ्रेंड, टीवी पर खोला जिंदगी का सबसे बड़ा राज

 

click here to join our whatsapp group